बाघ को लगाया जाएगा कृत्रिम पंजा, दो भागों में होगा उपचार
वर्ष 2012 में चंद्रपुर जिले के तादोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ साहेबराव का पंजा शिकारियों के बिछाए लोहे के फंदे में फंस गया था।
नागपुर, प्रेट्र। महाराष्ट्र में एक बाघ को कृत्रिम पंजा लगाने की तैयारी की जा रही है। जाने-माने आर्थोपेडिक सर्जन सुश्रुत बाहुलकर और पशु चिकित्सकों की टीम बाघ के कटे पंजे की जगह कृत्रिम पंजा प्रत्यारोपित करेगी।
वर्ष 2012 में चंद्रपुर जिले के तादोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व में बाघ साहेबराव का पंजा शिकारियों के बिछाए लोहे के फंदे में फंस गया था। बुरी तरह चोटिल उसके पंजे को बाद में काटना पड़ा था। उस समय साहेबराव दो साल का था। डॉ बाहुलकर ने कहा, घटना के चार-पांच दिन बाद वह नागपुर के गोरेवाड़ा रेस्क्यू सेंटर गए थे, जहां उन्होंने इस बाघ को देखा था। वह चल नहीं पा रहा था और दर्द से कराह रहा था। मैंने केंद्र के अधिकारियों से बात की और उसे गोद ले लिया। अब वह आठ साल का है और दुनिया के सबसे बड़े बाघों में से एक है।
दो भागों में होगा उपचार
डॉ बाहुलकर ने बताया कि बाघ का उपचार दो भागों में किया जाएगा। हर भाग में तीन से छह महीने लगेंगे। पहले भाग में हम बाघ को दर्द से निजात दिलाने पर काम करेंगे। इसके बाद उसका पंजा बदलने पर काम होगा। आइआइटी मुंबई बाघ के पंजे के 3डी प्रिंटिंग पर तकनीकी मदद देगी। कृत्रिम अंग बनाने वाली अमेरिकन कंपनी ने भी इसमें मदद की इच्छा जताई है।