अस्पताल ने सात दिन तक नहीं दिया युवक का शव
नागपुर के वेलट्रीट निजी हॉस्पिटल में 2 सितंबर को मौत हो गई, लेकिन परिजन को सात दिन बाद भी शव नहीं दिया।
छिंदवाड़ा-नागपुर (ब्यूरो)। महाराष्ट्र के नागपुर के एक निजी अस्पताल में छिंदवाड़ा जिले के गांगीवाड़ा के मारई निवासी आदिवासी परिवार के मुखिया संतकुमार धुर्वे (35) की नागपुर के वेलट्रीट निजी हॉस्पिटल में 2 सितंबर को मौत हो गई, लेकिन परिजन को सात दिन बाद भी शव नहीं दिया।
परिजन के पास अस्पताल का बिल चुकाने के लिए 1.80 लाख रपए नहीं थे। मृतक के परिजन का आरोप है कि डॉक्टरों ने शव के साथ ही उसकी मौसी के लड़के को भी अस्पताल में बंधक बना लिया। उन्होंने धमकी दी कि जब तक पैसा नहीं लाओगे तब तक तो शव मिलेगा और न ही इसे छोड़ेगे। छिंदवाड़ा की देहात थाना पुलिस ने भी मृतक के परिजन की मदद करने के बजाए उन्हें भगा दिया।
कलेक्टर ने की पहल शुक्रवार की दोपहर जब यह मामला कलेक्टर जेके जैन की जानकारी में आया तो उन्होंने परिजन को मदद का भरोसा दिलाया। बाद में सीएमएचओ ने नागपुर के अस्पताल प्रबंधन को भरोसा दिलाया कि पैसा प्रशासन देगा, आप परिजन को शव सौंप दीजिए। इसके बाद परिजन देर शाम शव लेकर छिंदवाड़ा के लिए रवाना हो गए हैं। अंग निकाल लेंगे गांगीवाड़ा के मारई गांव के संतकुमार दो महीने से बीमार था। उसके मुंह और हाथ में छाले हो गए थे। मरीज ने जिला अस्पताल सहित अन्य प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराया लेकिन लाभ नहीं हुआ। 28 अक्टूबर को संतकुमार को उसकी सास कुसमी बाई उइके और परिजन वेलट्रीट हॉस्पीटल लेकर पहुंचे।
करीब पांच दिन इलाज के बाद उसकी मौत हो गई। परिजन ने जब शव मांगा तो डॉक्टरों ने कहा कि पहले पूरा बिल जमा कराओ। परिजन बिल की राशि सुनकर घबरा गए। अस्पताल ने डांटकर भगा दिया और शव नहीं दिया। परिजन का आरोप है कि डॉक्टरों ने कहा कि यदि पैसा नहीं चुकाओगे तो अंग निकाल लिए जाएंगे।
नहीं बनाया बंधक
हमने न तो शव को बंधक बनाया और न ही उसके किसी रिश्तेदार को। मरीज की मौत दो सितंबर को नहीं हुई, उसकी मौत दो दिन पहले हुई। उसकी मौत के बाद परिजन को देखने गए तो कोई मिला नहीं। इसके बाद फोन पर संपर्क किया गया, लेकिन नहीं हो पाया। मरीज का बिल 1 लाख 80 हजार रुपए हुआ। छिंदवाड़ा प्रशासन द्वारा बिल देने के आश्वासन पर शव परिजन को दे दिया है।
-राव ठवरे, प्रबंधक, वेलट्रीट अस्पताल, नागपुर