Nyay Kaushal: तकनीक तक पहुंच के अभाव से पैदा हुई असमानता खत्म हो : सीजेआइ
Nyay Kaushal भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने महाराष्ट्र के नागपुर में न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान में देश के पहले ई-संसाधन केंद्र न्याय कौशल का उद्घाटन किया। न्याय कौशल न्याय के मामलों को ई-फिल करने की सुविधा प्रदान करेगा।
मुंबई/नागपुर, एएनआइ/प्रेट्र। Nyay Kaushal: देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे ने शनिवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी की वजह से अदालतों को ऑनलाइन काम करना पड़ा है, जिससे अनायास ही असमानता उत्पन्न हो गई है। इसकी वजह यह है कि कुछ लोगों की पहुंच डिजिटल तकनीक तक नहीं है। साथ ही, उन्हें इस बात पर गर्व है कि महामारी के दौरान भी देश की अदालतों ने अपना कामकाज जारी रखा। जस्टिस बोबडे यहां न्यायिक अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान में न्याय कौशल ई-रिसोर्स सेंटर और महाराष्ट्र परिवहन विभाग के लिए वर्चुअल कोर्ट का उद्घाटन कर रहे थे। न्याय कौशल सेंटर देश में पहला ई-रिसोर्स सेंटर है, जहां देश की किसी भी अदालत में मामले को ई-फाइल करने की सुविधा प्रदान की गई है।
तकनीक की पहुंच के अभाव से पैदा हुई असमानता का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और अन्य सदस्यों ने मुझे बताया कि कुछ वकील इस हद तक प्रभावित हुए कि उन्हें सब्जियां तक बेचनी पड़ीं और ऐसी भी खबरें है कि कुछ अपना करियर और अपनी जिंदगी खत्म करना चाहते थे। इसलिए यह जरूरी है कि तकनीक हर जगह उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों ने वाई-फाई कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने वाली मोबाइल वैन शुरू की हैं जिनका याचिकाकर्ता और वकील इस्तेमाल कर सकते हैं।
सीजेआइ ने कहा कि हमें इन असमानताओं को खत्म करना होगा और मुझे लगता है कि हमारा अगला जोर इसी पर रहने जा रहा है। यह ई-केंद्र, ये दोनों सुविधाएं जिनका हम उद्घाटन कर रहे हैं, इसी दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि कई और ऐसे केंद्र खोले जाएंगे और तकनीक तक पहुंच के अभाव से उत्पन्न असमानता खत्म करने के लिए इसे युद्धस्तर पर करना होगा। ऑनलाइन कामकाज से उत्पन्न हुई एक अन्य समस्या का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि जूनियर वकीलों का कहना है कि पहले वे काम कर पाते थे क्योंकि जब वे अदालत में पेश होते थे तो उन पर ध्यान दिया जाता था, जो अदालतों के ऑनलाइन काम करने से नहीं हो पाता। वर्चुअल सुनवाई में सिर्फ वरिष्ठ वकीलों को ही स्क्रीन पर देखा जा सकता है।
जस्टिस बोबडे 12 अप्रैल, 2013 को सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बने थे। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाए जाने के अलावा जस्टिस बोबडे ने अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। इनमें निजता को मौलिक अधिकार घोषित करना, किसी को आधार न होने के कारण सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता और प्रदूषण को काबू करने के लिए 2016 में दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाना शामिल है। जस्टिस बोबडे 23 अप्रैल, 2021 को सेवानिवृत होंगे। जस्टिस बोबडे का जन्म नागपुर में 24 अप्रैल, 1956 को हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से कानून में स्नातक की उपाधि हासिल की। वह 1978 में बार काउंसिल आफ महाराष्ट्र में पंजीकृत हुए और 1998 में वरिष्ठ वकील मनोनीत हुए। वह 29 मार्च, 2000 को बंबई हाईकोर्ट में अतिरिक्त जज नियुक्त हुए। वह 16 अक्टूबर, 2012 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनाए गए। सुप्रीम कोर्ट में वह 12 अप्रैल, 2013 में जज बनाए गए। जस्टिस रंजन गोगोई तीन अक्टूबर 2018 को प्रधान न्यायाधीश बनाए गए, रविवार को वह सेवानिवृत्त हुए।