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Maharashtra: मुंबई-वाराणसी स्पेशल ट्रेन में महिला ने बच्चे को दिया जन्म

Maharashtra मुंबई-वाराणसी स्पेशल ट्रेन में यात्रा के दौरान एक गर्भवती महिला ने शनिवार को लागतपुरी रेलवे स्‍टेशन पर एक बच्‍चे को जन्‍म दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 26 Jul 2020 04:58 PM (IST)Updated: Sun, 26 Jul 2020 04:58 PM (IST)
Maharashtra: मुंबई-वाराणसी स्पेशल ट्रेन में महिला ने बच्चे को दिया जन्म
Maharashtra: मुंबई-वाराणसी स्पेशल ट्रेन में महिला ने बच्चे को दिया जन्म

मुंबई, एएनआइ। Maharashtra: महाराष्ट्र में मुंबई-वाराणसी स्पेशल ट्रेन में यात्रा के दौरान एक गर्भवती महिला ने शनिवार को लागतपुरी रेलवे स्‍टेशन पर एक बच्‍चे को जन्‍म दिया है। रेलवे की मेडिकल टीम ने महिला की मदद की। बाद में मां और बच्चे को अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। दोनों स्वस्थ हैं। इधर, महाराष्ट्र में शनिवार को कोरोना के 9251 नए मामले मिले हैं। साथ ही 7227 मरीज ठीक भी हुए हैं। राज्य में अब तक संक्रमित मिले मरीजों की संख्या तीन लाख 66 हजार 368 हो गई है। इनमें से दो लाख सात हजार से ज्यादा मरीज ठीक हो चुके हैं। सक्रिय मरीज एक लाख 45 हजार 785 ही रह गए हैं। अब तक 13 हजार 389 मरीजों की मौत भी हुई है। जबकि, 18 लाख 36 हजार से ज्यादा लोगों की जांच की गई है।  

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इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने नौवीं और 11वीं कक्षा की परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दूसरा मौका देने का फैसला लिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने स्कूलों को सात अगस्त को मौखिक परीक्षा लेने का निर्देश दिया है। सोमवार को जारी सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए इन छात्रों के लिए फिर से परीक्षा संभव नहीं है। प्रस्ताव में कहा गया है कि मौखिक परीक्षा छात्रों को स्कूल बुलाकर या वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से ली जानी चाहिए। इसमें कहा गया है कि मौखिक परीक्षा में पास होने वाले छात्र 2020-21 अकादमिक वर्ष के लिए 10वीं और 12वीं कक्षा में नामांकन करा सकेंगे।

प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्ष 2018 में नौवीं कक्षा के छात्रों के लिए फिर से परीक्षा आयोजित की गई थी, लेकिन महामारी के कारण इस बार फिर से परीक्षा नहीं ली जा सकती है। वहीं, फिल्म एवं टेलीविजन की शूटिंग के दौरान 65 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को सेट पर जाने से रोकने को बांबे हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की खिंचाई करते हुए कहा कि अगर 65 साल से अधिक उम्र के स्वस्थ व्यक्ति को उसकी आजीविका से रोका गया तो वह एक सम्मानित जिंदगी कैसे जी पाएगा।


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