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Bhima Koregaon case: बॉम्बे हाईकोर्ट से भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवारा राव को मिली जमानत

Bhima Koregaon case बॉम्बे हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर आरोपी वरवारा राव को जमानत दी उन्हें इस शर्त पर जमानत दी गई है कि उन्हें इस दौरान मुंबई में ही रहना है और जांच के लिए बुलाने पर उपस्थित होना होगा।

By Babita KashyapEdited By: Published: Mon, 22 Feb 2021 11:52 AM (IST)Updated: Mon, 22 Feb 2021 12:19 PM (IST)
Bhima Koregaon case: बॉम्बे हाईकोर्ट से भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवारा राव को मिली जमानत
भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवारा राव को जमानत

 मुंबई, एएनआइ। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने भीमा कोरेगांव मामले (Bhima Koregaon case) के आरोपी वरवारा राव (Varavara Rao) को मेडिकल आधार पर जमानत दे दी है। आरोपी वरवारा राव को ये जमानत इस शर्त पर दी गई है कि वह मुंबई से बाहर नहीं जाएंगे और जब भी जांच के लिए बुलाया जाए उन्‍हें उपस्थित होना पड़ेगा। बता दें कि भीमा-कोरेगांव मामले में राव उन पांच आरोपियों में से एक हैं, जिन्हें नक्‍सलियों के साथ संबंध होने के चलते गिरफ्तार किया गया था।

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गौरतलब है कि 18 नवंबर 2020 को  बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी वरवारा राव को राज्य सरकार के खर्चे पर 15 दिन इलाज के लिए मुंबई के नानावती अस्‍पताल में भर्ती करवाया था। इस दौरान उनके परिजनों को अस्‍पताल के नियमों के अनुसार, वहां आने-जाने की इजाजत थी। बता दें कि महाराष्ट्र  सरकार ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एक मेडिकल रिपोर्ट जमा करवायी थी, जिसमें कहा गया था कि आरोपी वरवरा राव पूरी तरह से होश में हैं और उन्‍हें चीजों का बोध है। इस पर राव के वकील ने दलील दी थी कि इस रिपोर्ट में राव की तंत्रिका तंत्र संबंधी दिक्‍कतों और मूत्र नलिका संक्रमण को लेकर कुछ नहीं लिखा गया है। जिसके बाद हाइकोर्ट ने इस संबंध में पूरी रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। इस याचिका में लिखा गया था कि वरवरा राव की बिगड़ती तंत्रिका संबंधी और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी स्थिति को देखते हुए उन्‍हें तुरंत इलाज की जरूरत है, जिसके लिए उन्‍हें नानावती अस्‍पताल में भर्ती करवाया जाए।

जानें क्‍या है भीमा कोरेगांव मामला:

बात 1 जनवरी 2018 की है, जब पुणे के समीप भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ पर एक समारोह का आयोजन किया गया था। यहां हिंसा होने से एक व्‍यक्ति की मौत हो गई थी। इतिहास पर नजर डालें तो भीमा-कोरेगांव लड़ाई जनवरी 1818 को पुणे के पास हुई थी। ये लड़ाई ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना और पेशवाओं की फौज के बीच हुई थी। इसमें अंग्रेज़ों की ओर से महार जाति के लोगों ने लड़ाई की थी और इन लोगों की वजह से अंग्रेज़ों की सेना ने पेशवाओं को हरा दिया था। इस जीत पर महार जाति के लोग गर्व महसूस करते हैं और हर साल इस जीत का जश्‍न मनाते हैं।  

जनवरी 2018 में भीमा-कोरेगांव में लड़ाई की 200वीं सालगिरह को शौर्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा था। भीम कोरेगांव के विजय स्तंभ में शांतिपूर्वक कार्यक्रम हो रहा था, लेकिन अचानक ही  विजय स्तंभ पर जाने वाली गाड़ियों पर किसी ने हमला करना शुरू कर दिया। जिसके बाद  दलित संगठनों ने दो दिन तक मुंबई समेत नासिक, पुणे, ठाणे, अहमदनगर, औरंगाबाद, सोलापुर सहित अन्य इलाकों में बंद बुलाया। तोड़फोड़ और आगजनी की घटना हुई। इसके बाद दंगा भड़काने के आरोप में विश्राम बाग पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज हुआ और पांच लोगों को हिरासत में लिया गया।


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