Maharashtra: रेल परियोजना पर भारी पड़ा उद्धव ठाकरे का बाघ प्रेम
Uddhav Thackeray महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मेलघाट बाघ रिजर्व के बीच से गुजरने वाली खंडवा-अकोला रेल लाइन को मंजूरी देने से मना कर दिया।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Uddhav Thackeray: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को मेलघाट बाघ रिजर्व के बीच से गुजरने वाली खंडवा-अकोला रेल लाइन को मंजूरी देने से मना कर दिया। उन्होंने रेलमंत्री पीयूष गोयल व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को पत्र लिखकर इस प्रस्तावित रेल लाइन का रूट बदलने का सुझाव दिया है। मध्य प्रदेश के खंडवा से महाराष्ट्र के अकोला के बीच 176 किलोमीटर की मीटर गेज रेल लाइन अभी भी चालू है। इस रेल लाइन पर प्रतिदिन चार ट्रेनें ही चलती हैं। अकोला के भाजपा सांसद संजय धोतरे की मांग पर इस रेल लाइन को ब्रॉड गेज में बदला जाना था।
उद्धव ने रेलमंत्री पीयूष गोयल को लिखे पत्र में सुझाव दिया है कि नई ब्रॉड गेज रेल लाइन करीब 23.48 किलोमीटर रीअलाइनमेंट कर मेलघाट बाघ रिजर्व के बाहर से ले जाया जाए। इससे न सिर्फ महाराष्ट्र के इस सबसे पुराने बाघ क्षेत्र को नुकसान से बचाया जा सकेगा, बल्कि जलगांव, जामोद एवं संग्राम पुर जैसे तीन तालुकों के करीब 100 गांवों के लोगों को नई रेल लाइन का लाभ मिल सकेगा। उद्धव की पार्टी शिवसेना का प्रतीक चिह्न भी बाघ है। वे खुद वन्यजीव फोटोग्राफर हैं और महाराष्ट्र के बाघ रिजर्वो में फोटोग्राफी करते रहे हैं। संयोग से इस समय राज्य के पर्यावरण मंत्री उनके पुत्र आदित्य ही हैं। उद्धव ने दोनों मंत्रियों को लिखे पत्र में यह भी बताया कि 1973-74 में जब देश में नौ बाघ रिजर्व की घोषणा की गई थी, उस समय महाराष्ट्र के अमरावती जिले में स्थित यह राज्य का पहला बाघ रिजर्व था। यहां अभी करीब 50-55 बाघ रहते हैं।
पर्यावरणविद किशोर रीठे बताते हैं कि करीब 1600 वर्ग किमी में स्थित इस रिजर्व का बड़ा हिस्सा पहाड़ी क्षेत्र है, जबकि बाघ मैदानी इलाका पसंद करते हैं। बाघों की सुविधा के लिए रिजर्व के कोर एरिया से कई गांवों का पुर्नस्थापन किया जा चुका है। ऐसे में कोर एरिया से ही ब्रॉड गेज रेल लाइन ले जाने से बाघों की रिहायश मुश्किल हो जाएगी। रीठे के अनुसार महाराष्ट्र में कुल छह बाघ रिजर्व हैं। इनमें से पांच विदर्भ एवं एक कोंकण क्षेत्र में है। मेलघाट रिजर्व सबसे पहले घोषित बाघ रिजर्वो में से एक है। चंद्रपुर जनपद का तड़ोबा रिजर्व बाघों की संख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा है। यहां करीब 100 बाघ आरक्षित क्षेत्र के अंदर रहते हैं।