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शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का अयोध्या दौरा रद्द, जानें क्या है वजह

Uddhav Thackeray cancels Ayodhya visit शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का अयोध्या दौरा फिलहाल टल गया है। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे को 24 नवंबर को अयोध्या जाना था।

By Babita kashyapEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 11:37 AM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 12:27 PM (IST)
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का अयोध्या दौरा रद्द, जानें क्या है वजह
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का अयोध्या दौरा रद्द, जानें क्या है वजह

मुंबई, एएनआइ। Uddhav Thackeray Ayodhya visit शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे का आयोध्या दौरा टल गया है। दरअसल रामजन्म भूमि परिसर सुरक्षा की दृष्टि से अतिसंवेदनशील होने के कारण, सुरक्षा एजेंसियों ने वहां किसी भी राजनीतिक दल को जाने से मना किया है। गौरतलब है कि 9 नवंबर को एक संवाददाता सम्मेलन में, अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना करते हुए, उद्धव ने कहा था कि वह 24 नवंबर को अयोध्या जाएंगे।

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इस साल 16 जून को, उद्धव और उनके बेटे आदित्य ठाकरे ने अयोध्या का दौरा किया था और राम लला मंदिर में पूजा अर्चना की थी। बता दें कि महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर अभी भी कोई स्थिति साफ न हो पाना भी इस दौरे के रद होने की एक वजह माना जा रहा है। उद्धव पिछले साल 25 नवंबर को भी अयोध्या आए थे।

एनसीपी नेता शरद पवार सोनिया गांधी से मुलाकात 

महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर सोमवार को एनसीपी नेता शरद पवार सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस मुलाकात के बाद ही महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर फैसला हो जाएगा। सरकार का गठन न होने के कारण महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। पिछली विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो जाने के बाद नौ नवंबर को राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने 105 सदस्यों वाले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने के लिए 48 घंटे का समय दिया था लेकिन भाजपा ने इसमें असमर्थता जाहिर की।

इसके बाद शिवसेना को भी 24 घंटे का समय दिया इसके बाद शिवसेना प्रतिनिधि अवधि पूरी होने से पहले ही इस उम्मीद के साथ राजभवन पहुंचे की कांग्रेस-राकांपा का समर्थन पत्र उन्हें समय सीमा पूर्ण होने से पहले ही राजभवन आ जाएगा। लेनि पत्र के न पहुंचने से शिवसेना खाली हाथ निराश वापस लौट गयी। उसके बाद राकांपा को भी 24 घंटे का समय दिया गया, राकांपा ने पत्र के द्वारा समयावधि बढ़ाने का आग्रह भी किया। जिसे सरकार बना पाने में राकांपा की असर्मथा माना गया और राज्यपाल ने राज्य में राष्टï्रपति शासन की सिफारिश की।  

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