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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर एफआइआर के बाद बढ़ेंगी उद्धव सरकार की दिक्कतें

Maharashtra अनिल देशमुख पर सीबीआइ की एफआइआर दर्ज होने के बाद शिवसेनानीत महाविकास अघाड़ी सरकार की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। देशमुख के साथ-साथ कई और मंत्री सीबीआइ जांच के दायरे में आ सकते हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी कई सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 24 Apr 2021 08:34 PM (IST)Updated: Sat, 24 Apr 2021 08:35 PM (IST)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर एफआइआर के बाद बढ़ेंगी उद्धव सरकार की दिक्कतें
महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर एफआइआर के बाद बढ़ेंगी उद्धव सरकार की दिक्कतें। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर सीबीआइ की एफआइआर दर्ज होने के बाद शिवसेनानीत महाविकास अघाड़ी सरकार की दिक्कतें और बढ़ सकती हैं। देशमुख के साथ-साथ कई और मंत्री सीबीआइ जांच के दायरे में आ सकते हैं और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी कई सवालों के जवाब देने पड़ सकते हैं। सीबीआइ की एफआइआर में 100 करोड़ रुपयों की वसूली के साथ-साथ एपीआइ सचिन वाझे का निलंबन वापस कर उसे कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच सौंपे जाने व इसकी जानकारी अनिल देशमुख को भी होने की बात कही गई है। इसके अलावा पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा दायर याचिका में उठाए गए ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले का भी जिक्र किया गया है।

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इन सभी मामले मुख्यमंत्री कार्यालय की जानकारी में होने की बात पहले भी सामने आ चुकी है। इसलिए यदि सीबीआइ जांच का दायरा बढ़ा तो आंच मुख्यमंत्री तक भी पुहंचे तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे पत्र व उच्च न्यायालय में दायर अपनी 104 पृष्ठों की याचिका में लगाए गए आरोप सामान्य नहीं हैं। चूंकि मामला आर्थिक पक्ष से जुड़ा है, इसलिए इसमें आर्थिक विषयों की जांच करने वाले प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियां भी शामिल हो सकती हैं। एक केंद्रीय एजेंसी एनआइए पहले से ही अंटीलिया मामले व मनसुख हत्याकांड की जांच कर रही है।

निलंबित एपीआइ सचिन वाझे इन्हीं दोनों मामलों का आरोपित है, जो विशेष एनआइए अदालत को हस्तलिखित पत्र में अनिल देशमुख के अलावा शिवसेना के मंत्री अनिल परब व उपमुख्यमंत्री अजीत पवार पर सनसनीखेज आरोप लगा चुकी है। ये सभी मामले कहीं न कहीं आपस में और सचिन वाझे से भी जुड़ रहे हैं। इसलिए सीबीआइ की जांच में जैसे-जैसे कुछ और नाम जुड़ते जाएंगे, विपक्षी दल भाजपा को सरकार पर प्रहार करने के मौके मिलते जाएंगे। यह और बात है कि कोरोना काल में भाजपा सरकार को अस्थिर करने का ठीकरा अपने सिर नहीं फूटने देना चाहेगी, लेकिन ऐसे हर अवसर को वह तूल देने से भी नहीं चूकेगी। ताकि महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दलों की छवि को चोट पहुंचाई जा सके, और अगले साल होने वाले मुंबई महानगरपालिका चुनाव सहित किसी भी अन्य चुनाव में इसका लाभ लिया जा सके।

इसलिए दर्ज हुई एफआइआर

सीबीआइ ने 100 करोड़ की वसूली मामले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। एफआइआर में उन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। एफआइआर दर्ज करने के बाद सीबीआइ ने देशमुख के आवास सहित कई स्थानों पर छापे भी मारे।सीबीआइ ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश पर प्राथमिक जांच पूरी होने बाद ही पूर्व गृह मंत्री के विरुद्ध मामला दर्ज किया है। हाई कोर्ट ने यह आदेश कुछ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया था। ये याचिकाएं मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए उस पत्र के बाद दायर की गई थीं जिसमें परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर पुलिस अधिकारियों से प्रतिमाह 100 करोड़ रुपये वसूली करवाने का आरोप लगाया था। सीबीआइ ने अनिल देशमुख के विरुद्ध आइपीसी की धारा-120बी (आपराधिक साजिश) के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक कानून (पीसीए), 2018 की धारा-7 के तहत भी मामला दर्ज किया है। प्राथमिकी में कुछ अज्ञात लोगों के नाम का जिक्र भी किया गया है। इसलिए माना जा रहा है कि जांच के दौरान देशमुख के अलावा कुछ और लोगों को भी इस मामले में आरोपित बनाया जा सकता है। हाई कोर्ट ने छह अप्रैल को इस मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी थी और 15 दिन में प्राथमिक रिपोर्ट देने को कहा था। प्राथमिक जांच में तथ्य पाए जाने पर ही एफआइआर दर्ज की जानी थी।

हो सकती है गिरफ्तारी

सीबीआइ उसके बाद से प्राथमिक जांच के दौरान कई लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है। इस प्रक्रिया में देशमुख के विरुद्ध ठोस सुबूत मिलने के बाद ही उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। जांच आगे बढ़ने पर सीबीआइ जल्द ही उनकी गिरफ्तारी भी कर सकती है।

जांच के दायरे में आ सकता है ट्रांसफर पोस्टिंग मामला

दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, प्राथमिक जांच में प्रथमदृष्ट्या अनिल देशमुख और कुछ अन्य अज्ञात लोग अपने पद का दुरुपयोग कर गलत काम करते पाए गए हैं। एफआइआर में परमबीर सिंह द्वारा दायर 104 पृष्ठों की याचिका में ट्रांसफर-पोस्टिंग के आरोपों का भी जिक्र किया गया है। इससे माना जा रहा है कि सीबीआइ अपनी जांच के दायरे में ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले को भी ले सकती है। परमबीर सिंह इसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे और सीबीआइ जांच की मांग भी की थी।

अज्ञात के नाम भी एफआइआर में हो सकते हैं शामिल

15 साल पुलिस सेवा से बाहर रहे सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे को पुन: पुलिस सेवा में लेने का उल्लेख भी एफआइआर में किया गया है। एफआइआर के अनुसार, वाझे का निलंबन वापस होने के बाद उसे कई महत्वपूर्ण मामलों की जांच सौंपी गई और इसकी जानकारी भी अनिल देशमुख को थी। बता दें कि सचिन वाझे ने भी विशेष एनआइए कोर्ट को लिखे अपने चार पृष्ठों के पत्र में अनिल देशमुख पर उसे बुलाकर 100 करोड़ रुपयों की वसूली का आदेश देने का आरोप लगाया है। वाझे ने ऐसा ही आरोप परिवहन मंत्री अनिल परब और वित्त मंत्री अजीत पवार पर भी लगाया है। सीबीआइ ने अपनी एफआइआर में जिन 'अन्य अज्ञात' लोगों का जिक्र किया है, भविष्य में उनमें ये नाम भी शामिल हो सकते हैं।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू

देशमुख के विरुद्ध सीबीआइ की एफआइआर दर्ज होने के बाद तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं भी आनी शुरू हो गई हैं। शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने इसे एक ओर सीबीआइ का एजेंडा करार दिया तो दूसरी ओर हाई कोर्ट का आदेश बताते हुए कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। उनके अनुसार हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआइ जो भी कर रही है, उस पर अभी कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। जबकि अनिल देशमुख की पार्टी राकांपा के मंत्री नवाब मलिक अभी भी सीबीआइ की कार्रवाई को अनिल देशमुख और सरकार को बदनाम करने की साजिश करार दे रहे हैं। उनके अनुसार एफआइआर राजनीति से प्रेरित है। मलिक ने यह सवाल भी उठाए हैं कि क्या सीबीआइ ने हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी? क्या कोर्ट ने एफआइआर दर्ज करने को कहा? जबकि भाजपा आक्रामक दिखाई दे रही है। भाजपा सांसद मनोज कोटक ने कहा कि अब देशमुख भी नहीं बचेंगे और देशमुख ने जिन-जिन को अपना भागीदार बनाया वे भी नहीं बचेंगे। आने वाले समय में और भी मंत्रियों की मुश्किलें बढ़ेंगी। दूसरे भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा कि अब उद्धव सरकार को 2,000 करोड़ रुपयों का हिसाब देना होगा। जल्द ही इस जांच में ईडी भी शामिल हो जाएगी।


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