Maharashtra: दो ग्राम सभाओं ने दिखाई विधवाओं पर लागू कठोर परंपराएं खत्म करने की राह
Maharashtra दो ग्राम सभाओं ने विधवाओं के प्रति कठोर परंपराएं खत्म करने की राह दिखाते हुए अब तक चले आ रहे कई सामाजिक नियमों को खत्म करने का प्रस्ताव पारित किया। अब राज्य सरकार ने इन ग्राम सभाओं की तर्ज पर राज्य में जनजागृति लाने का निर्देश अफसरों को दिया।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र की दो ग्राम सभाओं ने विधवाओं के प्रति कठोर परंपराएं खत्म करने की राह दिखाते हुए अब तक चले आ रहे कई सामाजिक नियमों को खत्म करने का प्रस्ताव पारित किया है। अब राज्य सरकार ने इन्हीं ग्राम सभाओं की तर्ज पर पूरे राज्य में जनजागृति लाने का निर्देश अधिकारियों को दिया है। सामान्य सनातनी मान्यताओं और रीति-रिवाजों के अनुसार पति की मृत्यु के बाद महिलाएं मंगलसूत्र और बिछिया जैसे आभूषण उतार देती हैं। उनके माथे से सिंदूर पोंछ दिया जाता है। उनकी चूड़ियां तोड़ दी जाती हैं। पारिवारिक व सामाजिक समारोहों में उनका शामिल होना वर्जित हो होता है। कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र के कोल्हापुर की दो ग्राम सभाओं हेरवाड और माणगांव ने बाकायदा प्रस्ताव पारित कर ऐसी प्रथाओं को रोकने की पहल की है।
हेरवाड व माणगांव ने प्रस्ताव पारित कर पुरातन प्रथाएं रोकने की पहल की
इन दोनों ग्राम सभाओं में यह प्रस्ताव एक महिला सदस्य द्वारा ही पेश किया गया और एक अन्य महिला सदस्य ने ही इसका अनुमोदन भी किया। माणगांव वह ऐतिहासिक ग्रामसभा है, जहां 1920 में पहली बार अस्पृश्यता परिषद हुई थी। इस परिषद की अध्यक्षता बाबा साहब आंबेडकर ने की थी और देश की आजादी से पहले ही अपने राज्य में आरक्षण व्यवस्था लागू करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज छत्रपति शाहू जी महाराज इस परिषद के मुख्य अतिथि थे। उक्त दोनों ग्राम सभाओं द्वारा यह प्रगतिशील कदम उठाए जाने के बाद राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के ग्राम विकास मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया है कि जिला परिषद से लेकर ग्राम स्तर तक के अधिकारी राज्य के सभी गांवों में ऐसा ही प्रस्ताव पारित करवाने के प्रति जनजागृति अभियान चलाएं।
इन्होंने की सराहना
महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार की तीन महिला नेत्रियों महिला व बाल विकास मंत्री यशोमती ठाकुर, स्कूली शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड और बारामती से सांसद सुप्रिया सुले ने इस निर्णय के लिए ग्राम विकास मंत्री हसन मुश्रिफ की सराहना की है। सुप्रिया सुले ने ट्वीट कर कहा है कि धन्यवाद हसन मुश्रिफ साहब इन पुरातन महिला विरोधी रीति-रिवाजों के विरुद्ध प्रगतिशील निर्णय लेने के लिए। यशोमती ठाकुर ने कहा है कि हमें खुशी है कि लोग अब सकारात्मक बदलाओं की ओर बढ़ रहे हैं। जबकि वर्षा गायकवाड के अनुसार, उक्त दोनों गांवों ने यह निर्णय लेकर राज्य के अन्य गांवों व लोगों को सही रास्ता दिखाया है।