निरुपम के विरुद्ध लामबंद हुए मुंबई कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता
मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम के विरुद्ध कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता लामबंद हो चुके हैं जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम की मुसीबतें निकट भविष्य में बढ़ सकती हैं। क्योंकि उनके विरुद्ध कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता लामबंद हो चुके हैं। रविवार को इन सभी नेताओं ने मिलकर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर निरुपम को हटाने की मांग की।
कुछ सप्ताह पहले मुंबई कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदास कामत के निधन के बाद से ही मुंबई कांग्रेस में उथल-पुथल का अनुमान लगाया जा रहा था। माना जा रहा था कि कांग्रेस का कामत गुट अब अपना नया आसरा ढूंढेगा और निरुपम के विरुद्ध अब कृपाशंकर एवं कामत गुट मिलकर हमला करेगा। रविवार को वह स्थिति खुलकर सामने आ गई। मुंबई कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्षों कृपाशंकर सिंह एवं जनार्दन चांदुरकर के साथ पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान, विधायक अमीन पटेल, पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी एवं पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड एक साथ प्रदेश प्रभारी मल्लिकार्जुन खडगे के पास जा पहुंचे।
इन सभी ने मिलकर संजय निरुपम को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर यह बद युवा नेता मिलिंद देवड़ा को सौंपने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि मुंबई में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए निरुपम को हटाकर युवा नेता मिलिंद को कमान सौंपना जरूरी है।
प्रतिनिधिमंडल में गए नेताओं ने व्यापारी समुदाय के बीच पैठ रखनेवाले व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाने से कांग्रेस को होनेवाले फायदों का तर्क भी दिया। मिलिंद देवड़ा मारवाड़ी समुदाय से आते हैं । उनके पिता मुरली देवड़ा के व्यापारिक घरानों से अच्छे संबंध रहे हैं।
बता दें कि इस प्रतिनिधिमंडल में मिलिंद देवड़ा खुद शामिल नहीं थे। विधायक अमीन पटेल के अनुसार उन्होंने मिलिंद देवड़ा को जानकारी दिए बिना ही प्रदेश प्रभारी के सामने यह मांग रखी है। मिलिंद देवड़ा के पिता मुरली देवड़ा 22 साल मुंबई कांग्रेस के शक्तिशाली अध्यक्ष रहे हैं। मुंबई में मुरली देवड़ा के एकमात्र विरोधी गुरुदास कामत माने जाते थे। रविवार को खडगे के पास गए प्रतिनिधिमंडल के ज्यादातर नेता देवड़ा गुट में शामिल रहे हैं।
इन सभी को अहसास है कि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी अब किसी उम्रदराज व्यक्ति को मुंबई का नेतृत्व नहीं सौंपना चाहेंगे। लेकिन शिवसेना छोड़कर कांग्रेस में आए संजय निरुपम इनमें से किसी को हजम नहीं हो रहे हैं। इसलिए सभी की सहमति एकसुर से मिलिंद देवड़ा के पक्ष में बनती दिखाई दे रही है। देवड़ा परिवार की निष्ठा कांग्रेस के प्रति भी असंदिग्ध रही है। यदि यह बात राहुल को समझ में आ गई तो निरुपम की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है।