Farmers Protest: गाजीपुर बॉर्डर पहुंच टिकैत से मिले संजय राउत, कहा- किसानों से उचित तरीके से बात करे सरकार
Sanjay Raut meets farmers शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) ने गाजीपुर बॉर्डर पर पहुंच कर भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ( Rakesh Tikait) से मुलाकात की। संजय राउत आज (2 फरवरी) किसानों से मिलने सिंघु बार्डर भी जाएंगे।
मुंबई,एएनआइ। शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) गाजीपुर बार्डर (Ghazipur Border)पहुंच केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों से मुलाकात की। शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा हमने टिकैत साहब ( Rakesh Tikait) से बात की, अपना संदेश दिया और एकजुटता व्यक्त की। सरकार को किसानों से उचित तरीके से बात करनी चाहिए। अहंकार देश को चलाने में मदद नहीं करेगा। संजय राउत सिंघु बार्डर भी जाएंगे। बता दें कि किसानों की रैली में अब सियासत का तड़का जमकर लग रहा है, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता किसान आंदोलन में पहुंच रहे हैं।
शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट कर जानकारी दी थी कि वो आज गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों से मिलने पहुंच रहे हैं। राउत ने ट्वीट में लिखा था कि, "महाविकास अघाड़ी सरकार ने किसानों के हित में कई निर्णय लिए हैं। मुख्यमंत्री ठाकरे संकट के समय किसानों के साथ खड़े हैं। किसानों की बढ़ रही परेशानी और उनके आंसू परेशान कर रहे हैं। उद्धव ठाकरे की तरफ से मिली सूचना के बाद मैं आज गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों से 1:00 बजे मुलाकात करूंगा। जय जवान- जय किसान।"।
6 फरवरी को किसान करेंगे तीन घंटे का राष्ट्रव्यापी चक्का जाम
सोमवार को सिंघु बॉर्डर के नजदीक किसानों ने बैठक की, जिसमें उन्होंने 5 से 6 मुद्दों को लेकर चर्चा की। इस बैठक में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए। 6 फरवरी को दिन के 12:00 बजे से 3:00 बजे तक पूरे देशभर में संयुक्त किसान मोर्चा ने चक्का जाम करने का ऐलान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदर्शन में आए नौजवानों को प्रताड़ित किया जा रहा है, बेवजह उनकी पिटाई और गिरफ्तारी की जा रही है।
जानें क्या है विरोध की वजह
सरकार ने जो विधेयक लागू किए हैं उनसे किसान और व्यापारियों को एपीएमसी मंडियां खत्म होने की आशंका है। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 के अनुसार में किसान अब एपीएमसी मंडियों के बाहर किसी को भी अपनी उपज बेच सकता है। इस पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगेगा, जबकि एपीएमसी मंडियों में कृषि उत्पादों की खरीद पर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग मंडी शुल्क व अन्य उपकर लगाये गए हैं। जिसकी वजह से आढ़तियों और मंडी के कारोबारियों को डर सता रहा है कि जब मंडी के बाहर बिना शुल्क का कारोबार होगा तो मंडी में कोई नहीं आएगा। किसानों को डर है कि नए कानूनों के बाद एमएसपी पर फसलों की खरीद सरकार बंद कर देगी। बता दें कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020 में इस संबंध में कोई व्याख्या नहीं की है। मंडी के बाहर जो खरीद की जाएगी, वह न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम भाव पर नहीं होगी।