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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मोह में ममता बनर्जी से नहीं जुड़ पा रही है शिवसेना और राकांपा

Maharashtra Politics ममता बनर्जी महाराष्ट्र के दो दलों राकांपा व शिवसेना को साथ लेकर गैरभाजपा व गैरकांग्रेस मोर्चा बनाना चाहती हैं। लेकिन महाराष्ट्र में चल रही त्रिदलीय महाविकास अघाड़ी सरकार के मोह में ये दोनों दल कांग्रेस से कटने व ममता से जुड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 03 Dec 2021 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 03 Dec 2021 09:21 PM (IST)
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मोह में ममता बनर्जी से नहीं जुड़ पा रही है शिवसेना और राकांपा
शरद पवार, ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे। फाइल फोटो

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष ममता बनर्जी महाराष्ट्र के दो दलों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और शिवसेना को साथ लेकर एक गैरभाजपा और गैरकांग्रेस मोर्चा बनाना चाहती हैं। लेकिन महाराष्ट्र में चल रही त्रिदलीय महाविकास अघाड़ी सरकार के मोह में ये दोनों दल कांग्रेस से कटने और ममता से जुड़ने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। अपनी हाल की मुंबई यात्रा के दौरान ममता बनर्जी ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के अस्तित्व पर ही सवाल उठा दिए थे। उनका साफ मानना था कि कांग्रेस के नेतृत्व में लड़कर भाजपा को नहीं हराया जा सकता। क्योंकि खुद कांग्रेस का नेतृत्व ही भाजपा के खिलाफ गंभीरता से लड़ता दिखाई नहीं दे रहा है। ममता का मानना है कि देश के सभी क्षेत्रीय दल यदि एक साथ आएं तो भाजपा के खिलाफ एक मजबूत मोर्चा तैयार किया जा सकता है। लेकिन इस संभावित मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा, इस सवाल का स्पष्ट जवाब ममता नहीं दे सकीं। वह चाहती हैं कि सभी क्षेत्रीय दल मिलकर सामूहिक लड़ाई भाजपा के खिलाफ लड़ें और जीतने के बाद नेता चुना जाए।

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इसलिए मंजूर नहीं हो सकती है ममता की शर्त

ममता को उम्मीद थी कि उनके इस लक्ष्य में महाराष्ट्र के दो क्षेत्रीय दल शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सहायक होंगे। इसी उम्मीद में उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे व राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात भी की। लेकिन इन दोनों दलों की मजबूरी यह है कि फिलहाल ये उसी कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं, जिसके विरुद्ध ममता मोर्चा खोलना चाहती हैं। ममता की यह शर्त इन दोनों दलों को मंजूर नहीं हो सकती। क्योंकि उनकी पहली प्राथमिकता महाराष्ट्र है, ना कि राष्ट्र। कांग्रेस हाथ खींच ले तो महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार तुरंत गिर सकती है। इसलिए कांग्रेस को छोड़कर ममता के साथ जाने का सौदा न शिवसेना को मंजूर होगा, न राकांपा को।

ममता के बयानों पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

ममता की राकांपा और शिवसेना नेताओं से मुलाकातें महाराष्ट्र कांग्रेस को भी रास नहीं आ रही हैं। ममता के बयानों पर महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं की ओर से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। यही कारण है ममता के कांग्रेसविरोधी बयानों पर राकांपा और शिवसेना के नेता सफाई देते नजर आ रहे हैं। राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने स्पष्टीकरण दिया है कि शरद पवार ने ममता बनर्जी के सामने ही स्पष्ट कर दिया था कि कांग्रेस के बिना कोई भाजपा विरोधी मोर्चा संभव नहीं है। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कहा है कि राहुल गांधी संप्रग को मजबूत करने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। जबकि राउत इससे पहले कई बार शरद पवार को संप्रग का नेतृत्व सौंपने की मांग उठा चुके हैं।


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