Presidential Election: शरद पवार बोले, मैं राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार नहीं बनूंगा
Presidential Election शरद पवार ने बुधवार को कहा कि यह बिल्कुल गलत है कि मैं राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनूंगा। मुझे पता है कि जिस पार्टी के पास 300 से ज्यादा सांसद हैं उसे देखते हुए क्या नतीजा होगा। मैं राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार नहीं बनूंगा।
मुंबई, एएनआइ। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कहा कि यह बिल्कुल गलत है कि मैं राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनूंगा। मुझे पता है कि जिस पार्टी के पास 300 से ज्यादा सांसद हैं, उसे देखते हुए क्या नतीजा होगा। मैं राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार नहीं बनूंगा। उनके मुताबिक, प्रशांत किशोर मुझसे दो बार मिले लेकिन हमने केवल उनकी एक कंपनी के बारे में बात की। 2024 के चुनाव या राष्ट्रपति चुनाव के लिए नेतृत्व के संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई। प्रशांत किशोर ने मुझसे कहा कि उन्होंने चुनावी रणनीति बनाने का क्षेत्र छोड़ दिया है। शरद पवार ने कहा कि अभी तक कुछ भी तय नहीं किया गया है, चाहे 2024 के आम चुनाव हों या राज्य के चुनाव। चुनाव दूर है, राजनीतिक हालात बदलते रहते हैं। मैं 2024 के चुनावों में कोई नेतृत्व नहीं संभालने जा रहा हूं।
महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने अटकलों पर कहा कि शरद पवार राष्ट्रपति पद के लिए यूपीए के उम्मीदवार होंगे। राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अभी तक पार्टी के भीतर कोई चर्चा नहीं हुई है. अगर कोई इस खबर को प्रसारित कर रहा है, तो मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि यह सच नहीं है।
गौरतलब है कि संसद भवन पर आतंकी हमले के ठीक एक दिन पहले 12 दिसंबर, 2001 को मुंबई के रेसकोर्स में एक भव्य समारोह के बीच शरद पवार ने अपना 61वां जन्मदिन मनाते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने बड़ी बेबाकी से स्वीकार किया था कि वह भी देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। इस पद के लिए आवश्यक सारी योग्यताओं के बावजूद अब तक तो वह प्रधानमंत्री नहीं बन सके। लेकिन उन्होंने हार भी नहीं मानी है। देश के अखबारों और समाचार चैनलों में दो दिन से ये खबरें चल रही हैं कि शरद पवार को संप्रग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि स्वयं उन्होंने और उनकी पार्टी ने इन शिगूफों का खंडन किया है। लेकिन उन्हीं के लोगों की तरफ से इस बात को हवा भी दी जा रही है। कहा जा रहा है कि यह प्रस्ताव कांग्रेस के ही एक वर्ग की ओर से आया है। यह संभव भी है। क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्वविहीनता की स्थिति बहुत पहले से महसूस की जा रही है। संभवतः उस ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ में लोग यह महसूस करने लगे हैं कि पार्टी में तो बदलाव हो नहीं सकता, तो संप्रग में ही बदलाव करके विपक्ष को कुछ धार दी जाए।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने एक बयान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि भले ही कांग्रेस और राकांपा दो अलग-अलग पार्टियां हैं। लेकिन भविष्य में हम दोनों एक-दूसरे के करीब आएंगे, क्योंकि अब शरद पवार भी थक गए हैं, और हम भी थक गए हैं। लेकिन शिंदे के इस बयान का खंडन शरद पवार ने अगले ही दिन यह कहकर कर दिया था कि शिंदे के बारे में तो मैं नहीं जानता। लेकिन मैं नहीं थका हूं। राकांपा एक अलग पार्टी है, और उसका पृथक अस्तित्व कायम रहेगा। और उसी विधानसभा चुनाव में पवार ने अपने कथन को सिद्ध भी कर दिखाया। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें नोटिस भेजा जाना तब बहुत मजबूत दिख रही भाजपा को ऐसा भारी पड़ा कि ‘मैं पुनः आऊंगा’ का नारा बुलंद करने वाले देवेंद्र फड़णवीस सत्ता से ही बाहर हो गए।