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Maharashtra: शरद पवार ने सिद्ध किया कि वही हैं महाराष्ट्र के असली छत्रप

Sharad Pawar. महाराष्ट्र कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष शरद पवार ने सिद्ध कर दिया कि महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े पहलवान वह ही हैं कोई और नहीं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 26 Nov 2019 07:35 PM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2019 07:35 PM (IST)
Maharashtra: शरद पवार ने सिद्ध किया कि वही हैं महाराष्ट्र के असली छत्रप
Maharashtra: शरद पवार ने सिद्ध किया कि वही हैं महाराष्ट्र के असली छत्रप

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान एक बार तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने कहा था कि ये ऐसी कुश्ती है, जिसमें हमारे सामने कोई पहलवान ही दिखाई नहीं दे रहा है। लेकिन मंगलवार को महाराष्ट्र कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष शरद पवार ने सिद्ध कर दिया कि महाराष्ट्र की राजनीति के सबसे बड़े पहलवान वह ही हैं, कोई और नहीं।

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शरद पवार ने 2019 के विधानसभा चुनाव को उसी समय से दिल पर ले लिया था, जब चुनाव से ठीक पहले महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में उन्हें प्रवर्तन निदेशालय का नोटिस मिला। पवार बिना बुलाए ईडी दफ्तर जाने को तैयार हो गए तो सरकार और पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूलने लगे थे। स्वयं मुंबई के पुलिस आयुक्त ने उनके घर जाकर उनसे ईडी दफ्तर न जाने का आग्रह किया और ईडी अधिकारियों ने भी उन्हें आवश्यकता पड़ने पर ही ईडी कार्यालय आने का निवेदन किया। महाराष्ट्र की राजनीति पर इस घटना ने बड़ा असर डाला।

माना जाता है कि चुनाव से पहले पतली हालत में दिख रहे कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को ईडी के इस एक कदम से संजीवनी मिल गई। रही-सही कसर 79 वर्षीय मराठा छत्रप शरद पवार ने अपने धुआंधार प्रचार अभियान से पूरी कर दी। सातारा में भारी बरसात के दौरान भीगते हुए किए गए उनके भाषण ने तो छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोसले को भी 80,000 मतों से परास्त करवाने में बड़ी भूमिका अदा की।

चुनाव परिणाम आने के बाद यह कहा जाने लगा था कि यदि कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने भी पहले ही हिम्मत हार जाने के बजाय शरद पवार के बराबर उनके कंधे से कंधा मिलाकर मेहनत की होती, तो कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को मिली सीटों की संख्या बड़े आराम से भाजपा-शिवसेना गठबंधन से ज्यादा हो सकती थी। खैर, चुनाव परिणाम आने के बाद पवार पहले दिन से यह कहते रहे कि उन्हें विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है। जिन्हें सरकार बनाने का जनादेश मिला है, वो सरकार बनाएं। लेकिन बिल्ली के भाग्य से छींका फूटा और भाजपा-शिवसेना गठबंधन में दरार पैदा हो गई। शिवसेना की तरफ से कांग्रेस-राकांपा को साथ मिलकर सरकार बनाने का प्रस्ताव मिला तो शरद पवार सक्रिय हो गए। एक नई पार्टी के साथ गठबंधन और सरकार बनाने से पहले पवार सभी बिंदुओं पर आश्वस्त होना चाहते थे। इस प्रक्रिया में देर लग रही थी।

इसी बीच, उनके भतीजे अजीत पवार बगावत कर बैठे। इस चुनौती को शरद पवार ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया। स्वयं एक-एक विधायक से संपर्क शुरू किया। मुंबई के पांच सितारा होटलों में खुद अपने विधायकों के साथ बैठकें लीं। जो विधायक अजीत पवार के करीबी बताए जा रहे थे, उन्हें वापस बुलाने के प्रयास शुरू हुए। अजीत पवार के शपथग्रहण के बाद गुरुग्राम भेजे गए चार विधायकों को भी शरद पवार ने अपने दिल्ली-हरियाणा के कार्यकर्ताओं के जरिए वहां के एक पांचसितारा होटल से निकलवाकर मुंबई बुलवाया। सोमवार शाम तक अजीत पवार खेमे के ज्यादातर विधायक शरद पवार के साथ आ चुके थे।

दूसरी ओर, राकांपा के वरिष्ठ नेताओं एवं परिवार के लोगों को अजीत पवार को समझाने में लगाया। बताया जाता है कि सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने शरद पवार की पत्नी प्रतिभा पवार की बात अजीत पवार से करवाई। अजीत पवार अपनी काकी प्रतिभा का बहुत सम्मान करते हैं। मंगलवार सुबह प्रतिभा पवार से बातचीत होने के बाद ही अजीत पवार ने हथियार डाल दिए और मुख्यमंत्री के आधिकारिक निवास वर्षा में चल रही भाजपा कोर कमेटी की बैठक में जाकर मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंप दिया। 

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