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Maratha Reservation: संभाजी छत्रपति बोले, मराठा आरक्षण पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से पहले विचार करे सरकार

Maratha Reservation संभाजी छत्रपति ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना के चलते मराठा आरक्षण पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तारीख टाल दी गई है। सरकार को याचिका दायर करने से पहले सावधानी से विचार करना होगा ताकि कोई त्रुटि न हो।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 06:08 PM (IST)
Maratha Reservation: संभाजी छत्रपति बोले, मराठा आरक्षण पर पुनर्विचार याचिका दायर करने से पहले विचार करे सरकार
संभाजी छत्रपति बोले, पुनर्विचार याचिका दायर करने से पहले विचार करे सरकार। फोटोः एएनआइ

मुंबई, एएनआइ। भाजपा सांसद संभाजी छत्रपति ने शुक्रवार को कहा कि कोरोना के चलते मराठा आरक्षण पर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की तारीख टाल दी गई है। सरकार को याचिका दायर करने से पहले सावधानी से विचार करना होगा, ताकि कोई त्रुटि न हो। यह राज्य और केंद्र दोनों की जिम्मेदारी है। संभाजी छत्रपति ने वीरवार को कहा था कि मराठा आरक्षण को लेकर मैं पिछले कुछ दिनों से विभिन्न नेताओं से मिल रहा हूं। आज (गुरुवार) मेरी मुलाकात एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार से हुई। मैंने उनसे कहा कि आरक्षण को लेकर मराठा समुदाय में बहुत अशांति है। मराठा आरक्षण के लिए सभी नेताओं और पार्टियों को एक साथ आने की जरूरत है।

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जानें, क्या है मामला

बीती पांच मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठा आरक्षण को दिए जाने वाले आरक्षण के निर्णय खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को नौकरी और शिक्षा में दिया जाने वाला आरक्षण असंवैधानिक ठहराया है। कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम 50 फीसद सीमा तय करने वाले 1992 के इंदिरा साहनी निर्णय को पुनर्विचार के लिए बड़ी पीठ को भेजने की मांग को भी ठुकरा दिया था। पांच जजों वाली संविधान पीठ को सर्वसम्मति से कहना थ कि मराठा समाज को कोटा देने वाले महाराष्ट्र के कानून में 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन करता है। मराठाओं को आरक्षण देते समय 50 फीसद आरक्षण का उल्लंघन करने का कोई वैध आधार ही नहीं था।

इस निर्णय में यह भी स्पष्ट किया कि मराठा समुदाय से जुड़े लोगों को शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े समुदाय के रूप में घोषित श्रेणी में नहीं लाया जा सकता है। हालांकि बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठाओं के लिए आरक्षण के निर्णय को बरकरार रखा था। इस निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था। यह महत्‍वपूर्ण निर्णय न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनाया था।


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