Maharashtra Rain: महाराष्ट्र में बारिश ने 100 साल का रिकॉर्ड तोड़ा, कोल्हापुर, सांगली व सातारा जिले बाढ़ में डूबे
Maharashtra Rain महाराष्ट्र में भीषण बाढ़ का कारण बनी मूसलाधार बरसात ने पिछले करीब 100 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। इस बरसात के कारण पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर सांगली और सातारा जिले आज भी बाढ़ में डूबे हुए हैं।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के रायगढ़ व रत्नागिरी जिलों में भयावह भूस्खलन व पूरे पश्चिम महाराष्ट्र में भीषण बाढ़ का कारण बनी मूसलाधार बरसात ने पिछले करीब 100 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। इस बरसात के कारण पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली और सातारा जिले आज भी बाढ़ में डूबे हुए हैं। उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के अनुसार, कृष्णा व भीमा नदी घाटी ने पिछले सप्ताह अभूतपूर्व बरसात देखी है। इस क्षेत्र के सभी बांध लगभग भर गए हैं। पानी का स्टाक 85 फीसद तक पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष से बहुत ज्यादा है। इसी क्षेत्र में स्थित कोयना डैम में पिछले सप्ताह भर में ही 16.5 टीएमसी पानी इकट्ठा हुआ है। जबकि इस बांध की कुल क्षमता 100 टीएमसी की है। कोयना बांध क्षेत्र में हुई इतनी बरसात भी अपने आप में एक रिकार्ड है।
अधिकारियों के अनुसार, पिछले 100 वर्ष में ऐसा शायद पहली बार हुआ है। अजीत पवार कहते हैं कि 22 से 24 जुलाई के बीच हुई ऐसी बरसात के कारण ही रायगढ़ और रत्नागिरी जिलों को भूस्खलन का सामना करना पड़ रहा है। जबकि यह क्षेत्र भूस्खलन के लिए नहीं जाना जाता। इस क्षेत्र में वनों की कटाई भी न के बराबर ही होती रही है। इस भीषण बरसात के कारण ही पिछले सप्ताह रत्नागिरी के चिपलूण शहर का बड़ा हिस्सा जलमग्न हो गया था। उसके बाद रायगढ़ जिले में हुए दो बड़े भूस्खलन में सवा सौ से अधिक लोग मारे जा चुके हैं। दरअसल, अजीत पवार ने अपने बयान में जिस कृष्णा व भीमा नदी घाटी का जिक्र किया। उनमें एक कृष्णा नदी पुणे शहर से 120 किलोमीटर दूर स्थित हिल स्टेशन महाबलेश्वर से निकलती है, जहां सिर्फ चार दिनों में 1800 मिमी. बरसात रिकार्ड की गई है।
महाबलेश्वर के निकट ही कोयना डैम है। यह पूरा क्षेत्र वैसे भी हर साल मानसून के दिनों में भारी बरसात के लिए जाना जाता है, लेकिन इस बार की बरसात ने तो सारे रिकार्ड ही तोड़ दिए। जबकि भीमा नदी घाटी पुणे के दूसरी ओर भीमाशंकर की पहाड़ियों से निकलती है। यह भी सघन वन क्षेत्र है। यह नदी भी आगे चलकर कृष्णा नदी में ही विलीन हो जाती है। इन दोनों पूरबवाहिनी बड़ी पहाड़ी नदियों का पानी एक साथ पश्चिम महाराष्ट्र से होते हुए कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश होते हुए बंगाल की खाड़ी तक करीब 1400 किमी का सफर तय करता है। पुणे के इर्द-गिर्द स्थित इन दोनों नदी घाटियों के क्षेत्र में जब भी अधिक बरसात होती है, तब पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली व सातारा आदि जिलों को बाढ़ की मुसीबत का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही इस बार भी हुआ है।