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Maharashtra: उदयन का नारा कार्यवाही से हटाने को राजनीतिक रंग देने की कोशिश

Udayanraje Bhosale उदयनराजे भोसले के नारे को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा सदन की कार्यवाही से हटाने को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक विवाद खड़ा किया जाने लगा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 10:54 PM (IST)
Maharashtra: उदयन का नारा कार्यवाही से हटाने को राजनीतिक रंग देने की कोशिश
Maharashtra: उदयन का नारा कार्यवाही से हटाने को राजनीतिक रंग देने की कोशिश

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Udayanraje Bhosale: राज्यसभा सांसद उदयनराजे भोसले द्वारा बुधवार को शपथग्रहण के बाद लगाए गए जय भवानी, जय शिवाजी के नारे को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा सदन की कार्यवाही से हटाने को लेकर महाराष्ट्र में राजनीतिक विवाद खड़ा किया जाने लगा है। इसे छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान बताते हुए शिवसेना एवं संभाजी राजे ब्रिगेड द्वारा जगह-जगह प्रदर्शन किए जा रहे हैं। हालांकि सांसद उदयनराजे ने स्वयं स्पष्ट कर दिया है कि यह शिवाजी महाराज का अपमान कतई नहीं है। यदि ऐसा होता तो वे स्वयं त्यागपत्र दे देते। बुधवार को राज्यसभा सदस्यता की शपथ लेने के बाद छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयन राजे भोसले ने जय हिंद, जय महाराष्ट्र एवं जय भवानी, जय शिवाजी का नारा भी लगाया था।

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उनके यह नारा लगाते ही कुछ विपक्षी सदस्यों ने इस पर आपत्ति उठाई। जिसके बाद उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने यह कहते हुए इन नारों को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्णय किया कि शपथ ग्रहण के साथ कोई और शब्द जोड़ा जाना संविधान सम्मत नहीं है। इस घटनाक्रम पर गुरुवार को महाराष्ट्र में राजनीतिक रंग देने की कोशिशें शुरू हो गई हैं। एक ओर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू पर निशाना साधा जा रहा है, तो दूसरी ओर उदयनराजे भोसले को भी घेरने का प्रयास हो रहा है। संभाजी ब्रिगेड ने जगह-जगह वेंकैया नायडू के चित्र को आग लगाकर प्रदर्शन किया तो शिवसेना सांसद संजय राऊत ने ट्वीट कर छत्रपति शिवाजी महाराज के अपमान का मुद्दा उठाया।

राष्ट्रवादी कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं रही। उसके कार्यकर्ताओं ने वेंकैया नायडू को जय भवानी, जय शिवाजी लिखे पोस्टकार्ड भेजने शुरू कर दिए हैं। उदयनराजे भोसले को कुछ दिनों पहले ही भाजपा से राज्यसभा का सदस्य चुना गया है। उनके शपथग्रहण समारोह के दौरान घटे घटनाक्रम को राजनीति का मुद्दा इसलिए बनाया जा रहा है, क्योंकि वह शरद पवार की पार्टी राकांपा को छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे ने पिछला लोकसभा चुनाव राकांपा के टिकट पर ही अपनी सातारा लोकसभा सीट से जीता था। लेकिन विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वह लोकसभा से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

विधानसभा चुनाव के साथ ही हुए लोकसभा के उपचुनाव में वह भाजपा के टिकट पर पुन: लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन हार गए। कुछ माह पहले ही भाजपा ने उदयनराजे भोसले को राज्यसभा की सदस्यता प्रदान की है। अब में महाराष्ट्र की महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में शामिल तीनों दल उक्त घटनाक्रम के बहाने उन्हें और उनकी वर्तमान पार्टी को घेरने का प्रयास कर रहे हैं।


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