जानिए, मुंबई कांग्रेस में अध्यक्ष पद को लेकर क्यों मची है रार
mumbai congress. संजय निरूपम के विरुद्ध चल रही कांग्रेस के पुराने नेताओं की लामबंदी को मिलिंद देवड़ा ने स्वर दे दिया है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरूपम के विरुद्ध चल रही कांग्रेस के पुराने नेताओं की लामबंदी को युवा नेता मिलिंद देवड़ा ने स्वर दे दिया है। ये सभी नेता पिछले वर्ष सितंबर में ही प्रदेश कांग्रेस प्रभारी मल्लिकार्जुन खड़गे से मिलकर निरूपम को हटाने की मांग कर चुके हैं।
शिवसेना से कांग्रेस में आए संजय निरूपम को शुरू से कांग्रेस में रहे नेता बाहरी मानते हैं। पिछले वर्ष अगस्त में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुरुदास कामत के निधन के बाद से ही मुंबई कांग्रेस में उथल-पुथल का अनुमान लगाया जा रहा था। माना जा रहा था कि कांग्रेस का कामत गुट अब अपना नया आसरा ढूंढेगा और निरूपम के विरुद्ध अब कृपाशंकर व कामत गुट मिलकर हमला करेगा। सितंबर में यह स्थिति खुलकर तब सामने आई, जब मुंबई कांग्रेस के दो पूर्व अध्यक्षों कृपाशंकर सिंह एवं जनार्दन चांदुरकर के साथ पूर्व मंत्री वर्तमान विधायक मोहम्मद आरिफ नसीम खान, विधायक अमीन पटेल, पूर्व विधायक बाबा सिद्दीकी व पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड एक साथ प्रदेश प्रभारी मल्लिकार्जुन खडगे के पास जा पहुंचे।
इन सभी ने मिलकर संजय निरूपम को मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाकर यह पद युवा नेता मिलिंद देवड़ा को सौंपने की मांग की। इस प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि मुंबई में कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए निरूपम को हटाकर युवा नेता मिलिंद को कमान सौंपना जरूरी है। प्रतिनिधिमंडल में गए नेताओं ने व्यापारी समुदाय के बीच पैठ रखने वाले व्यक्ति को अध्यक्ष बनाए जाने से कांग्रेस को होने वाले फायदों का तर्क भी दिया था। मिलिंद देवड़ा मारवाड़ी समुदाय से आते हैं । करीब दो दशक तक मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष रहे उनके पिता मुरली देवड़ा के व्यापारिक घरानों से अच्छे संबंध रहे हैं।
गौरतलब है कि उस समय खड़गे के पास गए प्रतिनिधिमंडल में मिलिंद देवड़ा खुद शामिल नहीं थे। विधायक अमीन पटेल के अनुसार उन्होंने मिलिंद देवड़ा को जानकारी दिए बिना ही प्रदेश प्रभारी के सामने यह मांग रखी थी। लेकिन अब खुद देवड़ा खुलकर मैदान में आ गए हैं। उन्हें मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष निरूपम की अपनी लोकसभा सीट बदलने की कोशिश रास नहीं आ रही है। निरूपम पिछला चुनाव उत्तर मुंबई से लड़कर हार चुके हैं। अब वह गुरुदास कामत के निधन से रिक्त हुई उत्तर-पश्चिम मुंबई की सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं। मिलिंद देवड़ा को निरूपम का यह विचार रास नहीं आ रहा है।
उन्होंने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए पार्टी आलाकमान को बता दिया है कि अध्यक्ष के सीट बदलकर चुनाव लड़ने से गलत संदेश जाएगा। मिलिंद के खुलकर सामने आने से कांग्रेस के उन नेताओं में भी फुर्ती आ गई है, जो निरूपम के विरुद्ध आलाकमान से कुछ नहीं कह पाते थे। खडगे से गुहार लगाने गए प्रतिनिधिमंडल के ज्यादातर नेता देवड़ा गुट में शामिल रहे हैं। इन्हें मालूम था कि कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी अब किसी उम्रदराज व्यक्ति को मुंबई का नेतृत्व नहीं सौंपना चाहेंगे। इसलिए अपनी महत्त्वाकांक्षाओं को दबाकर सभी ने मिलिंद का नाम आगे बढ़ाया था। अब स्वयं मिलिंद का खुलकर निरूपम के सामने आना, लोकसभा चुनाव से पहले मुंबई कांग्रेस में कोई बड़ा गुल खिला सकता है।