Maharashtra: 100 करोड़ की वसूली मामले में अनिल देशमुख के खिलाफ मेरे पास अतिरिक्त सुबूत नहीं: परमबीर सिंह
Maharashtra मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने चांदीवाल आयोग को हलफनामा देकर कहा कि पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर उनके द्वारा लगाए गए 100 करोड़ वसूली के मामले में उनके पास कोई अतिरिक्त सबूत नहीं है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। महाराष्ट्र में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने चांदीवाल आयोग को हलफनामा देकर कहा कि पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर उनके द्वारा लगाए गए 100 करोड़ वसूली के मामले में उनके पास कोई अतिरिक्त सबूत नहीं है। देशमुख पर लगे इस गंभीर आरोप की जांच के लिए महाराष्ट्र सरकार ने 30 मार्च को उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अध्यक्षता में एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था। इस आयोग को सिविल कोर्ट के अधिकार दिए गए हैं। आयोग इस मामले में लगातार परमबीर सिंह को सम्मन भेजता रहा है कि वह आकर अपना बयान दर्ज कराएं, लेकिन अभी तक वह आयोग के सामने पेश नहीं हो सके हैं। अब आयोग की सिफारिश पर मुंबई पुलिस उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी कर चुकी है। साथ ही, उनकी फरारी अब राजनीतिक मुद्दा भी बनने लगी है।
वकील के जरिये दिया हलफनामा
मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने एक दिन पहले ही कहा है कि परमबीर सिंह देश छोड़कर बेल्जियम जा चुके हैं। शिवसेना नेता संजय राउत भी आरोप लगा चुके हैं कि परमबीर सिंह खुद नहीं भागे हैं, बल्कि उन्हें भगाया गया है। माना जा रहा है कि वह नेपाल के रास्ते किसी और देश में जा चुके हैं। चार बार समन जारी करने के बावजूद जब परमबीर आयोग के सामने हाजिर नहीं हुए, तो आयोग उन पर एक बार 5000 रुपये व दूसरी बार 25000 रुपये का जुर्माना भी लगा चुका है। अब परमबीर ने अपने वकील के जरिए आयोग में एक हलफनामा दायर कर कहा है कि उन्होंने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ वसूली के जो आरोप लगाए थे, उस संबंध में उनके पास कोई सबूत नहीं हैं।
जानें, क्या है मामला
आयोग के वकील शिशिर हिरे के अनुसार, परमबीर सिंह ने अपने हलफनामे में लिखा है कि 20 मार्च को उनके द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र के अतिरिक्त और कोई सबूत उनके पास नहीं है। परमबीर द्वारा यह पत्र लिखे जाने के बाद से ही महाराष्ट्र में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है। इस आरोप के बाद ही पूरे मामले की जांच के लिए राज्य सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन कर दिया था। इसके बावजूद परमबीर सिंह ने इस मामले की सीबीआइ जांच के लिए मुंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर कर दी थी। उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने 21 अप्रैल को देशमुख के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में पैसों का बड़ा लेनदेन सामने आने पर प्रवर्तन निदेशालय ने भी देशमुख की जांच शुरू कर दी थी। दो दिन पहले ही प्रवर्तन निदेशालय ने अनिल देशमुख को गिरफ्तार भी कर लिया है।