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Maharashtra: अनिल देशमुख मामले में एनआइए कोर्ट ने दी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत

Maharashtra एनआइए की विशेष अदालत ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत दे दी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 08:58 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 08:58 PM (IST)
अनिल देशमुख मामले में एनआइए कोर्ट ने दी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की विशेष अदालत ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग मामले में मुंबई पुलिस के बर्खास्त अधिकारी सचिन वाझे से पूछताछ की इजाजत दे दी। सचिन वाझे को एनआइए ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर (अंटीलिया) के पास एक विस्फोटक लदी कार खड़ी किए जाने व ठाणे के कारोबारी मनसुख हिरेन की हत्या मामले में मार्च में गिरफ्तार किया था। बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि नवी मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद वाझे से पूछताछ के लिए ईडी को तीन दिनों का समय मिला है। ईडी इस मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता देशमुख के निजी सचिव संजीव पलांडे व निजी सहायक कुंदन शिंदे को गिरफ्तार कर चुकी है।

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केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि दोनों आरोपितों ने स्वीकार किया है कि वाझे ने मुंबई के आर्केस्ट्रा बार मालिकों से 4.70 करोड़ रुपये वसूले और दो किस्तों में शिंदे को सौंपा। वाझे से पूछताछ की इजाजत की मांग करते हुए ईडी ने कहा था कि वह मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के पूर्व सहायक निरीक्षक तथा पलांडे व शिंदे से एक साथ पूछताछ करना चाहती है।उल्लेखनीय है कि वाझे की गिरफ्तारी व मुंबई पुलिस आयुक्त पद से हटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि तत्कालीन गृहमंत्री देशमुख ने सचिन को बार व रेस्तरां से 100 करोड़ रुपये प्रतिमाह वसूली का लक्ष्य दिया था। हालांकि, देशमुख ने आरोपों से इन्कार किया था।

गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ दायर एफआइआर के सिलसिले में सीबीआइ अपनी जांच का दायरा बढ़ाएगी। अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासन का प्रमुख निर्दोष होने का दावा नहीं कर सकता और वह समान रूप से जिम्मेदार है। जस्टिस एसएस शिंदे और जस्टिस एनजे जमादार की खंडपीठ ने कहा कि अगर हाई कोर्ट के पांच अप्रैल के आदेश को सही मायनों में देखा जाए तो हर व्यक्ति की भूमिका की जांच करनी होगी। पांच अप्रैल को हाई कोर्ट ने देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ सीबीआइ को प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे। अदालत देशमुख की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सीबीआइ द्वारा 24 अप्रैल को उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के आरोप में दर्ज एफआइआर को रद करने की मांग की गई थी। यह एफआइआर हाई कोर्ट के आदेश पर की गई प्रारंभिक जांच के बाद दर्ज की गई थी। 


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