नवलखा ने कोर्ट में कहा, शोध के लिए नक्सलियों से मिला था
नागरिक स्वच्छदंता कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बांबे हाई कोर्ट में कहा कि वह अपने शोध कार्यो और पुस्तकों के लिए नक्सलियों से मिले थे।
By BabitaEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 02:34 PM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 02:34 PM (IST)
मुंबई, प्रेट्र। नागरिक स्वच्छदंता कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने सोमवार को बांबे हाई कोर्ट में कहा कि वह सिर्फ अपने शोध कार्यो और पुस्तकों के लिए नक्सलियों से मिले थे। उन्होंने सवाल भी उठाया कि उनके इस कार्य के लिए उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां निरोधक कानून (यूएपीए) के तहत कार्रवाई कैसे की जा सकती है।
नवलखा ने हाईकोर्ट से 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद की तरफ से आयोजित सभा के अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़कने के मामले में पुणे पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज किए केस को रद करने की मांग की है। पुलिस ने नवलखा और चार अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ नक्सलियों से संबंध के आरोप लगाए हैं।
नवलखा के वकील युग चौधरी ने सोमवार को जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ को बताया कि वह (नवलखा) एक लेखक और शांति कार्यकर्ता हैं तथा संघर्ष क्षेत्रों के विशेषज्ञ हैं। चौधरी ने कहा, ''उन्हें पूर्व में भारत सरकार की ओर से तब मध्यस्थ नियुक्त किया गया था जब नक्सलियों ने छह पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया था। वह नक्सलियों के साथ सम्पर्क में हैं लेकिन यह केवल उनकी पुस्तकों और अन्य शोध कार्यो के लिए है।
इस सम्पर्क के लिए गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून के प्रावधान कैसे लागू हो सकते हैं।''उन्होंने कहा, ''नवलखा पर दोनों (सरकार और नक्सली संगठनों) ओर से हमले किये जा रहे हैं। दोनों पक्ष सोचते हैं कि उनका दूसरे के प्रति झुकाव है।'' पीठ इस याचिका पर अब 26 अप्रैल को आगे सुनवायी करेगी। अदालत ने इसके साथ ही नवलखा को सुनवायी की अगली तिथि तक गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। नवलखा के अलावा चार अन्य-वरवरा राव, अरुण फेरेरा, वी गोंसाल्विस और सुधा भारद्वाज मामले में आरोपी हैं।
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