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Maharashtra: प्रेरक बन रहा है नंदुरबार का 'आक्सीजन नर्स' माडल

Maharashtra महाराष्ट्र का सबसे पिछड़ा नंदुरबार जिला भी अपने आक्सीजन प्रबंधन के लिए इन दिनों काफी चर्चा में है। यहां का आक्सीजन नर्स माडल अन्य राज्यों को भी राह दिखा रहा है। गुजरात एवं मध्य प्रदेश की सीमाओं से सटा नंदुरबार जिला अनुसूचित जनजाति बहुल जिला है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 06:40 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 06:40 PM (IST)
Maharashtra: प्रेरक बन रहा है नंदुरबार का 'आक्सीजन नर्स' माडल
प्रेरक बन रहा है नंदुरबार का 'आक्सीजन नर्स' माडल। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: आक्सीजन प्रबंधन के लिए मुंबई महानगरपालिका तो सर्वोच्च न्यायालय की तारीफ पा ही चुकी है, महाराष्ट्र का सबसे पिछड़ा नंदुरबार जिला भी अपने आक्सीजन प्रबंधन के लिए इन दिनों काफी चर्चा में है। यहां का आक्सीजन नर्स माडल न सिर्फ महाराष्ट्र, बल्कि अन्य राज्यों को भी राह दिखा रहा है। गुजरात एवं मध्य प्रदेश की सीमाओं से सटा नंदुरबार जिला अनुसूचित जनजाति बहुल जिला है। वहां की 70 फीसद आबादी आदिवासी है। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहद कमी है। पिछले वर्ष कोरोना की पहली लहर के दौरान ही वहां के जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भारूड इस कमी को भांप गए थे। डॉक्टरी की पढ़ाई करने वाले डॉ. भारूड इस बीमारी में आक्सीजन की अहमियत भी समझ चुके थे।

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यही कारण है कि जब कोरोना की पहली लहर पिछले सितंबर में अपने चरम पर थी तभी उन्होंने जिले के तीन सरकारी अस्पतालों में आक्सीजन प्लांट स्थापित करवाने की शुरुआत कर दी थी। पहला प्लांट उसी महीने में तैयार हो गया। बाकी के दो प्लांट इस वर्ष कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के दौरान तैयार हुए। इन तीनों प्लांटों से 600 लीटर प्रति मिनट आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। डॉ.भारूड ने आक्सीजन उत्पादन ही नहीं, बल्कि उसके सही उपयोग का भी रास्ता निकाला। उनकी प्रति 50 मरीजों के बीच एक आक्सीजन नर्स की परिकल्पना आज काफी चर्चित हो रही है। इस नर्स का एकमात्र काम 50 मरीजों का आक्सीजन स्तर देखते रहना था। यदि कोई मरीज अपना आक्सीजन मास्क हटा देता तो नर्स उसे मास्क लगाने को कहती और यदि किसी मरीज को आक्सीजन की जरूरत नहीं होती है तो नर्स उसका आक्सीजन बंद कर देती है। इस तरह आक्सीजन का दुरुपयोग रुकता है और सभी मरीजों को आवश्यकतानुसार उसकी आपूर्ति भी होती रहती है। इससे नंदुरबार जैसे पिछड़े जिले में आक्सीजन की कमी की खबरें नहीं सुनाई दीं। जबकि कोरोना की दूसरी लहर में एक दिन में 1200 संक्रमित पाए जाने का सर्वोच्च आंकड़ा नंदुरबार में देखा जा चुका है। इस समय भी वहां करीब पौने छह हजार सक्रिय मामले हैं।

सांसद ने बताया झूठा प्रचार

एक तरफ आक्सीजन प्रबंधन के लिए नंदुरबार माडल और जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र भारूड की तारीफ हो रही है, वहीं स्थानीय सांसद डॉ. हिना गावित इस माडल को झूठा प्रचार बता रही हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर डॉ.भारूड की शिकायत भी की है। उनका कहना है कि जिले को प्रतिदिन आठ टन आक्सीजन की जरूरत है, जबकि इन तीन आक्सीजन प्लांट से सिर्फ डेढ़ से दो टन आक्सीजन ही मिल पा रही है। दो से ढाई टन आक्सीजन गुजरात, धुले एवं औरंगाबाद से लेनी पड़ रही है। इसके बावजूद जिले में करीब चार टन आक्सीजन की कमी है। इस प्रकार आक्सीजन की कमी वाले जिले में आक्सीजन पर्याप्त बताना गलत है। सांसद के आरोपों पर जिलाधिकारी का कहना है कि उन्होंने कभी यह दावा नहीं किया कि जिले में आक्सीजन पर्याप्त है।


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