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Maharashtra: एमएससी बैंक धोखाधड़ी मामले में लगाई क्लोजर रिपोर्ट

MSC Bank fraud case बैंक पर आरोप है कि उसने नियमों की अनदेखी कर ऋण स्वीकृत किए। ये ऋण स्थानीय चीनी और कताई मिलों सहित कई अन्य औद्योगिक इकाइयों को दिए गए। धोखाधड़ी का यह मामला लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 08 Oct 2020 09:17 PM (IST)Updated: Thu, 08 Oct 2020 09:17 PM (IST)
Maharashtra: एमएससी बैंक धोखाधड़ी मामले में लगाई क्लोजर रिपोर्ट
एमएससी बैंक धोखाधड़ी मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल।

मुंबई, एएनआइ। MSC Bank fraud case: मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने गुरुवार को महाराष्ट्र राज्य सहकारी (एमएससी) बैंक के धोखाधड़ी मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने इस मामले के न्यायालय में विचाराधीन होने के चलते विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया। बैंक पर आरोप है कि उसने नियमों की अनदेखी कर ऋण स्वीकृत किए। ये ऋण स्थानीय चीनी और कताई मिलों सहित कई अन्य औद्योगिक इकाइयों को दिए गए। धोखाधड़ी का यह मामला लगभग पांच हजार करोड़ रुपये का है। ईओडब्ल्यू ने इस मामले में अगस्त 2019 में एफआइआर दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी इसी साल सितंबर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार, उनके भतीजे और महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री अजित पवार सहित बैंक के 70 अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

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गौरलतब है कि  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता अजित पवार को सिंचाई घोटाले में बड़ी राहत मिली थी। महाराष्‍ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार को कथित सिंचाई घोटाले में क्‍लीन चिट दे दी है। एसीबी ने बीते 27 नवंबर को बॉम्‍बे हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। इस हलफनामे में कहा गया है कि तत्‍कालीन वीआइडीसी चेयरमैन अजित पवार को निष्पादन एजेंसियों के कृत्यों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका ऐसा कोई कानूनी दायित्‍व नहीं बनता है। महाराष्‍ट्र के पूर्व मुख्‍यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और भाजपा इस घोटाले को लेकर अजित पवार पर निशाना साधते रहे हैं। साल 2014 में मुख्‍यमंत्री बनने के बाद देवेंद्र फडनवीस ने ही पहली कार्रवाई की थी। उन्‍होंने सिंचाई घोटाले में अजित पवार की कथित भूमिका की जांच के आदेश दिए थे। रिपोर्टों में कहा गया है कि पूर्व की कांग्रेस और एनसीपी सरकार के वक्‍त जब अजित पवार उप मुख्‍यमंत्री थे, तब करीब 70 हजार करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला सामने आया था। 


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