TV TRP Fraud: मुंबई पुलिस ने किया टीआरपी रैकेट के भंडाफोड़ का दावा, चार गिरफ्तार
TV TRP Fraud टीआरपी के जरिये ही पता चलता है कि किस टीवी कार्यक्रम को सबसे ज्यादा देखा गया दर्शकों की पसंद क्या है और किस चैनल की लोकप्रियता कितनी है। मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बताया कि रिपब्लिक टीवी चैनल भी इस झूठे टीआरपी रैकेट में शामिल था।
मुंबई, प्रेट्र। TV TRP Fraud: मुंबई पुलिस ने गुरुवार को टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) से छेड़छाड़ करने वाले रैकेट का भंडाफोड़ करने का दावा किया है। उसने इस रैकेट में रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों को संलिप्त बताया है। इस संबंध में चार लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। रिपब्लिक टीवी ने पुलिस के दावे को खारिज करते हुए कहा कि वह मुंबई पुलिस आयुक्त के खिलाफ मानहानि का केस दायर करेगा। टीआरपी के जरिये ही पता चलता है कि किस टीवी कार्यक्रम को सबसे ज्यादा देखा गया, दर्शकों की पसंद क्या है और किस चैनल की लोकप्रियता कितनी है। मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बताया कि रिपब्लिक टीवी चैनल भी इस झूठे टीआरपी रैकेट में शामिल था।
रैकेट का भंडाफोड़ करने वाली मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने इस संबंध में दो मराठी चैनल मालिकों को गिरफ्तार किया है। उन्हें अदालत ने शुक्रवार तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है। एक अन्य पुलिस अधिकारी ने बताया कि टीआरपी निर्धारण प्रक्रिया में शामिल 'हंस' एजेंसी के दो पूर्व कर्मचारियों को भी गिरफ्तार किया गया है। एक आरोपित के पास से पुलिस ने 20 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं। 8.5 लाख रुपये उसके बैंक लॉकर से मिले हैं। पुलिस आयुक्त ने कहा कि इस मामले में रिपब्लिक टीवी के जिम्मेदार लोगों को भी गिरफ्तार किया जाएगा फिर वह चैनल का डायरेक्टर हो, प्रमोटर हो या कोई अन्य कर्मचारी। उन्होंने कहा कि आरोपित चैनलों के बैंक खातों की जांच भी की जा रही है और टीआरपी रैकेट के लिए जिम्मेदार लोगों को आगे की जांच के लिए पुलिस समन कर रही है।
वहीं, रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी ने कहा कि मुंबई पुलिस प्रमुख ने रिपब्लिक टीवी के खिलाफ झूठा दावा किया है, क्योंकि चैनल ने सुशांत सिंह राजपूत मामले में उन पर सवाल उठाए थे। चैनल मुंबई पुलिस आयुक्त के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला दायर करेगा। उन्होंने कहा कि ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) ने किसी भी शिकायत में चैनल का जिक्र नहीं किया है। परमबीर सिंह को माफीनामा जारी करना चाहिए और वह अदालत में चैनल का सामना करने को तैयार रहें।
हजारों करोड़ का खेल
परमबीर सिंह ने कहा कि टीआरपी रेटिंग के आधार पर ही विज्ञापनदाता इन चैनलों पर विज्ञापन के लिए भुगतान करते हैं और यह हजारों करोड़ रुपये का खेल है। टीआरपी रेटिंग में छेड़छाड़ से विज्ञापनदाताओं के लिए लक्षित दर्शकों की गणना भी गलत हो जाती है। इस तरह की छेड़छाड़ और टीआरपी के फर्जी आंकड़ों से सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान होता है।
चैनल चलाने के लिए रिश्वत
टीआरपी की गणना घरों में लगे गोपनीय सेट (बैरोमीटर) के जरिये चैनल को देखे जाने के आधार पर की जाती है। परमबीर ने बताया कि इस रैकेट में शामिल लोग इन घरों के लोगों को रिश्वत देते थे और उन्हें कुछ चैनलों को चलने देने के लिए कहते थे, तब भी जब वे टीवी न देख रहे हों या वे घर पर न हों। उन्होंने बताया कि टीआरपी की निगरानी के लिए मुंबई में दो हजार बैरोमीटर स्थापित किए गए हैं और इन बैरोमीटर की निगरानी के लिए बार्क ने 'हंस' एजेंसी को ठेका दिया है। उन्होंने कहा कि हमें संदेह है कि अगर यह मुंबई में हो रहा था तो देश के अन्य हिस्सों में भी हो सकता है।
बार्क हर हफ्ते जारी करता है रेटिंग
बार्क भारत में टीवी चैनलों के लिए हर हफ्ते रेटिंग प्वाइंट्स जारी करता है। इस मामले में उसके अधिकारियों से भी पूछताछ की जा रही है। बार्क मीडिया उद्योग का ही एक निकाय है जिसका गठन सटीक, विश्वसनीय और समय पर टीवी दर्शकों की संख्या मापने के लिए किया गया है। यह टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की सिफारिशों के मार्गदर्शन में कार्य करता है।
'हंस' ने दायर की थी शिकायत
पुलिस आयुक्त ने बताया कि टीआरपी रैकेट की शिकायत 'हंस' ने दाखिल की थी, जिसके आधार पर अपराध दर्ज किया गया। जांच के दौरान पता चला कि आंकड़ों से छेड़छाड़ में एजेंसी के कुछ पूर्व कर्मचारी शामिल थे और वे इन्हें कुछ टेलीविजन कंपनियों के साथ साझा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि बार्क की विश्लेषण रिपोर्ट के मुताबिक टीआरपी में संदिग्ध बदलाव हुए थे।