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Maharashtra: मेडिकल छात्रा से धोखाधड़ी के मामले में मुंबई का डॉक्टर गिरफ्तार

Maharashtra लोकमान्य तिलक म्यूनिसपल जनरल हॉस्पिटल (एलटीएमजीएच) के डिप्टी डीन रामनारायण वर्मा को एक मेडिकल छात्रा को एमडी पाठ्यक्रम में दाखिला दिलाने के नाम धोखा देने के मामले में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2020 07:48 PM (IST)Updated: Thu, 24 Dec 2020 07:48 PM (IST)
Maharashtra: मेडिकल छात्रा से धोखाधड़ी के मामले में मुंबई का डॉक्टर गिरफ्तार
मेडिकल छात्रा से धोखाधड़ी के मामले में मुंबई का डॉक्टर गिरफ्तार। फाइल फोटो

मुंबई, आइएएनएस। मुंबई पुलिस ने बीएमसी द्वारा संचालित लोकमान्य तिलक म्यूनिसपल जनरल हॉस्पिटल (एलटीएमजीएच) के डिप्टी डीन रामनारायण वर्मा को एक मेडिकल छात्रा को एमडी पाठ्यक्रम में दाखिला दिलाने के नाम धोखा देने के मामले में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया। वह मध्य प्रदेश की मंदसौर निवासी छात्रा डॉ. अलीशा ए. शेख से 50 लाख रुपये की रिश्वत ले रहा था। जांच में सामने आया कि शेख के पिता ने वर्मा के कारपोरेशन बैंक खाता में 21.10 लाख रुपये ट्रांसफर भी कर दिया था। जांच अधिकारी ने बताया कि आरोपित ने कुबूल किया है कि वह शिकायतकर्ता से 50 लाख रुपये ले रहा था। अब इस बात की जांच की जा रही है कि कहीं यह कोई रैकेट तो नहीं या इसमें कोई और भी शामिल है? कहीं किसी और छात्र से तो पैसे तो नहीं लिए गए?वर्मा को एलटीएमजीएच के स्टाफ आवास से गिरफ्तार किया गया, लेकिन खराब स्वास्थ्य के कारण सायन अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ठीक होने पर उसे कोर्ट के सामने पेश किया जाएगा।

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पुणे में जमानत कराने वाले गिरोह का पर्दाफाश, 37 गिरफ्तार 

पुणे, आइएएनएस : पुणे पुलिस ने फर्जी ढंग से जमानत दिलाने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस मामले में उसने गिरोह में शामिल 37 लोगों को गिरफ्तार भी किया है। इसमें पांच महिलाएं शामिल हैं। पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने कहा कि लंबे समय से काम कर रहे इस गिरोह पर अब शिकंजा कस चुका है। गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ कर जांच को आगे बढ़ाया जाएगा। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस गिरोह ने विभिन्न अदालतों से 25 हजार विचाराधीन कैदियों को फर्जी दस्तावेजों की मदद से जमानत दिलवाने में मदद की। यह गिरोह ज्यादातर जिला न्यायालय या न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के न्यायालयों में अपने काम को अंजाम देता था। पुलिस को 15 दिन पहले इस गिरोह के बारे में जानकारी मिली थी। यह गिरोह आरोपितों-विचाराधीन कैदियों की जमानत कराने के लिए 12 हजार से 20 हजार रुपये लेता था। गिरोह जमानत दिलाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करता था। अदालत ने आरोपितों को 26 दिसंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया है।


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