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Maratha Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने कहा 22 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

Maratha Reservation मराठा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट 22 जनवरी को करेगा सुनवाई। फडणवीस सरकार ने मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत के आरक्षण की मंजूर दी थी।

By Babita kashyapEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 11:22 AM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 02:34 PM (IST)
Maratha Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने कहा 22 जनवरी को होगी अगली सुनवाई
Maratha Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने कहा 22 जनवरी को होगी अगली सुनवाई

मुंबई, जेएनएन। महाराष्ट्र में मराठों को आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट 22 जनवरी को सुनवाई करेगा।। बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र में मराठों को आरक्षण देने के सरकार के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया था। गौरतलब है कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई जिसमें राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को नियुक्त किया था।

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इस संबंध में जारी आदेश के अनुसार विधि विशेषज्ञ विधि विशेषज्ञ निशांत कटणेश्वरकर, एडिशनल सालिसिटर जनरल आत्माराम नाडकर्णी, विधि विशेषज्ञ परमजीत सिंह पटवालिया, राज्य स्तरीय लेखा समिति के अध्यक्ष सचिन पटवर्धन, अधिवक्ता सुखदरे, अधिवक्ता अक्षय शिंदे, सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव शिवाजी दौड तथा विधि व न्याय विभाग के सचिव राजेंद्र भागवत सुनवाई के दौरान रोहतगी को अपना सहयोग प्रदान किया। 

गौरतलब है कि आरक्षण के लिए मराठा समाज ने महाराष्ट्र में लंबा संघर्ष किया और कई मूक मोर्चे भी निकाले। जिसके बाद देवेंद्र फडणवीस सरकार ने मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में 16 प्रतिशत के आरक्षण की मंजूर भी दे दी थी। लेकिन सरकार के फैसले के खिलाफ बॉम्बे हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। कोर्ट ने सरकार के फैसलो को बरकरार रखा, जिसके खिलाफ एक एनजीओ ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका के अनुसार संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा का उल्लंघन किया गया है। 

सोमवार को मुकुल रोहतगी की नियुक्ति से पहले मराठा क्रांति मोर्चा ने राज्यपाल और राज्य के मुख्य सचिव अजोय मेहता से मिल कर विज्ञप्ति सौंपी, जिसमें कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायाल में मराठा आरक्षण को बल देने के लिए विधि विशेषज्ञों का दल उतारा जाए। इसमें ये भी कहा गया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो मराठा समाज का आरक्षण के लिए दिया गया बलिदान बेकार चला जाएगा। दिलीप पाटील के अनुसार मुख्य सचिव और राज्यपाल से मांग की कि जैसे हाईकोर्ट में आरक्षण को बचाने के लिए कानूनविदों की मजबूत टीम का गठन किया गया था वैसे ही सर्वोच्च न्यायालय में होना चाहिए। 

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