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Malegaon Blast Case: श्रीकांत पुरोहित ने हाई कोर्ट को बताया, सेना के लिए जानकारी जुटाने को साजिशकर्ताओं की बैठक में गया

Malegaon Blast Case नासिक के मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में बम बांधकर किए गए धमाके से छह लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 08:20 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 08:20 PM (IST)
Malegaon Blast Case: श्रीकांत पुरोहित ने हाई कोर्ट को बताया, सेना के लिए जानकारी जुटाने को साजिशकर्ताओं की बैठक में गया
श्रीकांत पुरोहित ने हाई कोर्ट को बताया, सेना के लिए जानकारी जुटाने को साजिशकर्ताओं की बैठक में गया। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। Malegaon Blast Case: मालेगांव बम धमाके के आरोपित लेप्टीनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने बुधवार को बांबे हाई कोर्ट को अपने वकील के माध्यम से बताया कि वे अपने विभागीय निर्देशों पर साजिशकर्ताओं की बैठक में शामिल हुए थे। उन्हें सेना के लिए खुफिया सूचनाएं इकट्ठा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। कोर्ट पुरोहित की उस आवेदन पर सुनवाई कर रही है, जिसमें सभी आरोपों को खारिज करने का अनुरोध किया गया है। उल्लेखनीय है नासिक के मालेगांव कस्बे में 29 सितंबर, 2008 को एक मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में बम बांधकर किए गए धमाके से छह लोगों की मौत हो गई थी और सौ से अधिक लोग घायल हुए थे। एनआइए द्वारा आतंकरोधी कानून के तहत गिरफ्तार हो चुके पुरोहित की वकील नीला गोखले ने जज एसएस शिंदे और एमएस कार्निक की पीठ को बताया कि उनके मुवक्किल ने सेना के लिए खुफिया जानकारी जुटाने के लिए साजिशकर्ताओं से मुलाकात की और उनकी गोपनीय बैठकों में हिस्सा लिया।

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गोखले ने कहा कि पुरोहित तो अपनी ड्यूटी निभा रहे थे। ऐसे में एनआइए को उनके खिलाफ मुकदमा शुरू करने से पहले केंद्र सरकार से इजाजत लेनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (दो) के तहत सैन्य बलों के सदस्यों द्वारा किसी भी अपराध के खिलाफ केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बाद ही मुकदमा चलाया जा सकता है। गोखले ने भारतीय सेना और मुंबई पुलिस के पूर्व संयुक्त आयुक्त हिमांशु राय से मिले दस्तावेजों का हवाला देते हुए कहा कि गोपनीय सूचनाएं मुहैया कराने के लिए पुरोहित की सराहना भी की गई थी। पुरोहित ने अपनी दलील में कहा, मैं इन दस्तावेजों का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं अपना फर्ज निभा रहा था। इन समूहों के बीच पैठ बनाकर मैं अपने वरिष्ठों को गुप्त सूचनाएं भेजा करता था। लेकिन इस कार्य के लिए मुझे जेल में डाल दिया गया, मुझे यातना दी गई और मुझे आतंकी साबित बताया गया।पुरोहित ने अपनी याचिका पिछले साल सितंबर में दायर की थी। पुरोहित को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट की पीठ अब दो फरवरी को अगली सुनवाई सुनेगी।


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