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महाराष्ट्र: गढ़चिरौली में माओवादियों ने फिर की दो लोगों की हत्या, मुखबिर होने का था संदेह

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में पुलिस मुखबिर होने के संदेह में माओवादियों ने दाे लोगों की हत्या कर दी है। हालांकि पिछले दिनों पुलिस ने दावा किया था कि गढ़चिरौली में नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।

By BabitaEdited By: Published: Sat, 02 Feb 2019 11:49 AM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 11:49 AM (IST)
महाराष्ट्र: गढ़चिरौली में माओवादियों ने फिर की दो लोगों की हत्या, मुखबिर होने का था संदेह
महाराष्ट्र: गढ़चिरौली में माओवादियों ने फिर की दो लोगों की हत्या, मुखबिर होने का था संदेह

गढ़चिरौली, एएनआइ। गढ़चिरौली में माओवादियों ने पुलिस मुखबिर होने के संदेह में दो और लोगों की हत्या कर दी है। पिछले पंद्रह दिनों में नक्सली हमले में यहां सात लोगों की मौत हो चुकी है। हालांकि, पिछले साल पुलिस ने दावा किया था कि गढ़चिरौली में नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।

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गौरतलब है कि अभी हाल ही में नक्सलियों ने गढ़चिरौली जिले के कुरखेड़ा, कोरची और पौटगांव में कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। जबकि पिछले दिनों महाराष्ट्र के पुलिस अफसरों ने दावा किया था कि गढ़चिरौली में नक्सलियों की पूरी कंपनी नष्ट हो गई है। इस इलाके में उन्हें दोबारा संगठित होने में वर्षों लग जाएंगे। माना जा रहा था कि गढ़चिरौली अब शांत हो जाएगा। लेकिन एक साल से भी कम समय में नक्सली फिर सक्रिय हो गए हैं। गढ़चिरौली जिले में हमला कर नक्सलियों ने अपने इरादे भी साफ कर दिए हैं।

पिछले साल ऐसा कहा जा रहा था कि गढ़चिरौली में अब तक की सबसे बड़ी सफलता मिली है। यहां एक साथ 37 नक्सली मारे गए थे। गढ़चिरौली में मारे गए 37 नक्सलियों में दो डिवीजनल कमेटी के सचिव स्तर के थे, जबकि कई डिवीजनल कमेटी के सदस्य थे।

गौरतलब है कि गढ़चिरौली के कसनपुर में 21 अप्रैल 2018 की आधी रात को महाराष्ट्र पुलिस के सी-60 कमांडो ने धावा बोला और घेराबंदी की। 22 अप्रैल की सुबह मुठभेड़ हुई जिसमें 16 शव बरामद किए गए। बाद में सर्चिंग की गई तो इंद्रावती नदी में तैरते 15 और शव भी मिले। 23 अप्रैल को इसी से सटे जिमलगट्टा के जंगलों में एक और मुठभेड़ हुई, जिसमें छह नक्सली हलाक कर दिए गए। 72 घंटों में 37 नक्सलियों के शव बरामद कर महाराष्ट्र पुलिस ने रिकार्ड बना दिया। मारे गए नक्सलियों में 19 महिलाएं भी थीं। इसमें श्रीनिवास और साईनाथ नाम के दो बड़े लीडर्स मारे गए। ऐसे में नक्सली दोबारा सिर उठा पाएंगे इसकी संभावना कम ही थी।


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