Coronavirus: महाराष्ट्र सरकार ने निजी अस्पतालों को अपने अधिकार क्षेत्र में लिया
Coronavirus मुंबई के सरकारी एवं महानगरपालिका अस्पतालों की नए रोगी भर्ती कर पाने की क्षमता समाप्त हो गई है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। Coronavirus: महाराष्ट्र में निरंतर बढ़ती कोरोना रोगियों की संख्या को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी निजी अस्पतालों को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है। इन अस्पतालों के 80 फीसद बिस्तरों का उपयोग राज्य सरकार कोविड-19 के रोगियों के लिए कर सकती है।
शुक्रवार को एक ही दिन में महाराष्ट्र में 2,940 नए रोगी मिले और 63 लोगों की मृत्यु हुई। यह एक दिन में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसके साथ ही राज्य में कोरोना रोगियों की कुल संख्या 44,582 हो गई है। ये बढ़ते आंकड़े जहां विपक्ष को राज्य सरकार पर हमलावर होने का मौका दे रहे हैं, वहीं राज्य सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है। इन परिस्थितियों को देखते हुए ही आज धर्मादा आयुक्त के यहां पंजीकृत राज्य के सभी निजी अस्पतालों के 80 फीसद बिस्तर अपने अधिकार क्षेत्र में लेने की अधिसूचना राज्य सरकार ने जारी कर दी है। इस बारे में जब, जहां आवश्यकता होगी, जिलाधिकारी, महापालिका आयुक्त एवं स्वास्थ्य विभाग तुरंत निर्णय कर इन बिस्तरों का उपयोग कोरोना रोगियों के लिए कर सकता है।
बता दें कि मुंबई के सरकारी एवं महानगरपालिका अस्पतालों की नए रोगी भर्ती कर पाने की क्षमता समाप्त हो गई है। राज्य सरकार मुंबई के बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स एवं गोरेगांव स्थित प्रदर्शनी मैदान सहित कई और स्थानों पर हजारों बिस्तरों की व्यवस्था कर चुकी है। केंद्र सरकार के अधीन नेवी, पोर्ट ट्रस्ट एवं रेलवे के अस्पताल भी देने का अनुरोध किया जा चुका है। लेकिन एक दिन में करीब 3000 नए रोगियों के आने से सरकार को बिस्तरों की ये संख्या भी आवश्यकता से बहुत कम नजर आने लगी है। इसलिए सरकार ढाई से तीन लाख बिस्तरों का इंतजाम किसी भी आपातस्थिति के लिए करके रखना चाहती है। खासतौर से मुंबई मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के लिए। लेकिन आज जारी अधिसूचना से पता चलता है कि कि सरकार आगामी 31 अगस्त तक के लिए मुंबई के बाहर भी सभी निजी अस्पतालों को उपयोग करने का अधिकार अपने पास रखना चाहती है।
सरकार ने न सिर्फ निजी अस्पतालों को अपने अधिकार क्षेत्र में लिया है, बल्कि वहां काम करनेवाले चिकित्सकों एवं अन्य स्टाफ पर भी अत्यावश्यक सेवा कानून (मेस्मा) लागू करने का निर्णय किया है। यानी इन अस्पतालों के स्टाफ को अपनी सेवाएं देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कोविड और नॉन कोविड रोगियों के लिए इन अस्पतालों में लिया जानेवाला शुल्क भी सरकार ने निर्धारित कर दिया है। ताकि रोगियों को अस्पतालों की मनमानी से बचाया जा सके।