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कोरेगांव-भीमा हिंसा में दलितों को लामबंद कर रही थी भाकपा (माओवादी)

महाराष्ट्र पुलिस ने बांबे हाईकोर्ट को बताया है कि कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग और माओवादियों से जुड़े लोग दलितों को लामबंद करने की कोशिश में जुटे थे।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 13 Mar 2019 06:50 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2019 06:50 PM (IST)
कोरेगांव-भीमा हिंसा में दलितों को लामबंद कर रही थी भाकपा (माओवादी)
कोरेगांव-भीमा हिंसा में दलितों को लामबंद कर रही थी भाकपा (माओवादी)

मुंबई, प्रेट्र। महाराष्ट्र पुलिस ने बांबे हाईकोर्ट को बताया है कि कोरेगांव-भीमा हिंसा मामले में गिरफ्तार किए गए लोग और माओवादियों से जुड़े लोग दलितों को लामबंद करने की कोशिश में जुटे थे, ताकि भाजपा नीत महाराष्ट्र सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने का भाकपा (माओवादी) का मकसद पूरा किया जा सके।

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पुणे के पुलिस उपायुक्त शिवाजी पवार ने बुधवार को बताया कि कोर्ट के समक्ष इस संबंध में हलफनामा दायर किया गया है। इसमें आरोपितों में से एक अरुण फरेरा की जमानत अर्जी का विरोध किया गया है।

पुलिस फरेरा के अलावा आठ अन्य माओवादियों को भी गिरफ्तार कर चुकी है। इनके नाम वरनोन गोंजाल्विस, सुधा भारद्वाज, पी.वरवरा राव, गौतम नवलखा और आनंद तेलुम्बडे हैं। फरेरा और गोंजाल्विस ने बाद में जमानत याचिका दायर की थी। इस पर बुधवार को ही जस्टिस पीएन देशमुख की अदालत में मामला पांच अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया। पुलिस को गोंजाल्विस की याचिका के खिलाफ अभी हलफनामा दायर करना बाकी है।

पुणे की पुलिस ने अपने हलफनामे में बताया है कि फरेरा और अन्य आरोपित प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओ) के वरिष्ठ सदस्य हैं। वह सक्रिय रूप से प्रतिबंधित संगठन की गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन ही नहीं कर रहे बल्कि सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उसमें भागीदारी भी निभा रहे हैं।

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