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Kangana And Rangoli: कंगना व रंगोली राजद्रोह का मामला खारिज करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचीं

Kangana Ranaut कंगना रनोट और उनकी छोटी बहन रंगोली चंदेल ने अपने खिलाफ लगे राजद्रोह के आरोपों के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मुंबई पुलिस की ओर से दायर एफआइआर खारिज किए जाने की मांग की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 09:34 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 09:34 PM (IST)
Kangana And Rangoli: कंगना व रंगोली राजद्रोह का मामला खारिज करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचीं
कंगना व रंगोली राजद्रोह का मामला खारिज करने के लिए हाईकोर्ट पहुंचीं। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। Kangana Ranaut: बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट और उनकी छोटी बहन रंगोली चंदेल ने अपने खिलाफ लगे राजद्रोह के आरोपों के खिलाफ बांबे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने मुंबई पुलिस की ओर से दायर एफआइआर खारिज किए जाने की मांग की है। इस एफआइआर में दोनों बहनों पर अपनी इंटरनेट मीडिया पोस्टों के जरिये नफरत फैलाने और सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने का आरोप लगाया गया है। कंगना रनोट और रंगोली चंदेल के खिलाफ राजद्रोह और अन्य मामलों में दर्ज एफआइआर के चलते इस मामले की जांच बांद्रा मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के तहत की जाएगी। इन दोनों के वकील रिजवान सिद्दीकी ने बताया कि कंगना और रंगोली ने अपने खिलाफ दायर एफआइआर को खारिज करने के लिए बांबे हाईकोर्ट में दस्तक दी है।

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उन्होंने बताया कि याचिका में उस समन को भी खारिज करने की अपील की गई है जिसमें कंगना और रंगोली को मुंबई पुलिस के समक्ष पेश होने को कहा गया है। मुंबई पुलिस ने कंगना और रंगोली के खिलाफ आइपीसी की धाराएं 153-ए (धार्मिक आधार पर दो समुदायों के बीच नफरत फैलाना), 295-ए (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124-ए (राजद्रोह) और 34 (साझा इरादा) लगाई गई हैं। मजिस्ट्रेट जयदेव घुले ने विगत 17 अक्टूबर को आदेश पारित करते हुए कहा था कि पुलिस दोनों बहनों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करे और मामले की जांच करे। यह याचिका कास्टिंग डायरेक्टर और फिटनेस ट्रेनर मुनव्वर अली सैयद ने दायर की थी। 

वहीं, कंगना के मुंबई स्थित ऑफिस में बीएमसी द्वारा की गई तोड़फोड़ के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट 27 नवंबर को अपना फैसला सुनाएगा। बीएमसी ने नौ सितंबर को कंगना के ऑफिस को अवैध बताते हुए तोड़फोड़ की थी। हालांकि बाद में कोर्ट ने बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। सूत्रों के मुताबिक, कंगना के बंगले के डिमोलिशन मामले में कोर्ट में कंगना के खिलाफ मामले में अपीयर होने के लिए वरिष्ठ वकील को 82.5 लाख रुपये लीगल फीस के तौर पर दी गई। 


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