Maharashtra Govt Corruption News: महाराष्ट्र सरकार के अंदर कहां तक जुड़ी हैं भ्रष्टाचार की चेन, अभी कहना मुश्किल !
Maharashtra Government Corruption News भविष्य में सीबीआइ भी इन सबूतों के आधार पर ही अपनी जांच आगे बढ़ाएगी। जांच का यह सिलसिला पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से शुरू होकर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार परिवहन मंत्री अनिल परब से होते हुए कहां जाकर रुकेगा अभी कहना मुश्किल है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra Government Corruption News मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपये की वसूली का सनसनीखेज आरोप लगाए जाने के बाद संसद में मुंबई की एक सांसद पूनम महाजन ने कहा था कि ये तो एक विभाग का टार्गेट है। महाराष्ट्र सरकार में ऐसे न जाने कितने विभाग हैं, जहां से वसूली के आदेश निकलते रहे होंगे। एनआइए कोर्ट के नाम लिखी सचिन वाझे की चिट्ठी सार्वजनिक होने के बाद पूनम महाजन की आशंका सही साबित होती दिखाई दे रही है। अभी तक तो अनिल देशमुख, परिवहन मंत्री अनिल परब एवं उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नाम सामने आ चुके हैं। आगे ऐसे न जाने कितने नाम सामने आएंगे, और यह सीरीज कहां तक जाएगी, कुछ कहा नहीं जा सकता।
मुंबई महानगरपालिका का पिछला चुनाव भाजपा शिवसेना से अलग होकर लड़ी थी। तब वह शिवसेना पर लगातार ‘खंडणी (वसूली) पार्टी’ होने का आरोप लगाती रही थी। वर्ष 2014 का विधानसभा चुनाव भी शिवसेना से अलग होकर लड़ने के दौरान भाजपा यही आरोप उस पर लगाती थी। संयोग देखिए कि अब भाजपा के ये पुराने आरोप शिवसेना पर खुद ब खुद चस्पा होते जा रहे हैं। वह भी खुद के कारणों से कम, सरकार में उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कारण ज्यादा।
परमबीर सिंह ने जिन गृहमंत्री महोदय पर पुलिस अधिकारियों से 100 करोड़ रुपयों की वसूली करवाने का आरोप लगाया, वह राकांपा के ही हैं। अब तो सचिन वाङो की चिट्ठी में उपमुख्यमंत्री अजीत पवार का भी नाम सामने आ गया है। पवार का एक करीबी उनके नाम पर सचिन वाङो से गुटका और तंबाकू के अवैध कारोबारियों से हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूल करवाना चाहता था। बताने की जरूरत नहीं है कि अजीत पवार न सिर्फ राकांपा के वरिष्ठ नेता हैं, बल्कि राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे भी हैं। इससे पहले राकांपा के ही एक और मंत्री धनंजय मुंडे भी कुछ निजी कारणों से चर्चा में रह चुके हैं। उनके कारण भी शिवसेनानीत महाविकास आघाड़ी सरकार को बदनामी ङोलनी पड़ी थी। ताजा प्रकरण में अभी तक तो शिवसेना के सिर्फ एक मंत्री अनिल परब का नाम सामने आया है। वह भी सचिन वाङो की ‘प्रतिभा’ का इस्तेमाल मुंबई महानगरपालिका के ठेकेदारों से वसूली के लिए करना चाहते थे। प्रति माह 50 करोड़ रुपयों का ‘टार्गेट’ उन्होंने भी वाङो को दे रखा था। वाङो प्रकरण से अलग एक घोटाले में शिवसेना के एक विधायक प्रताप सरनाईक का नाम पहले ही आ चुका है। शिवसेना के बड़बोले नेता संजय राऊत का संबंध पीएमसी बैंक घोटाले के आरोपित से सामने आने के बाद उससे लिया गया करीब 50 लाख का ‘उधार’ उन्हें हाल ही में चुकाना पड़ा है।
शिवसेनानीत सरकार के ये कारनामे सिर्फ सवा साल के हैं। सरकार दीर्घजीवी रही, तो करीब पौने चार साल अभी सरकार को और काम करना है। ऐसा नहीं है कि महाराष्ट्र में वसूली का यह रैकेट पहले चलता नहीं था। मुंबई के डांस बार हमेशा से पुलिस और आबकारी विभाग के लिए दुधारू गाय रहे हैं। लेकिन राज्य के किसी गृहमंत्री द्वारा पुलिस अफसरों को 100 करोड़ रुपये का टार्गेट देने की घटना पहली बार ही सामने आई है। मुंबई, पुणो, नासिक के भवन निर्माताओं से पैसे लेकर जमीनों का आरक्षण बदलवाना और उन्हें तमाम तरह की नाजायज अनुमतियां दिलवाना तो पहले भी चर्चा में रहता ही था, लेकिन बीएमसी ठेकेदारों से 50 करोड़ रुपये की मासिक वसूली का टार्गेट फिक्स करना पहली बार ही सामने आया है। मुंबई के भीड़ भरे भिंडी बाजार इलाके को नया रूप देने में जुटे सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट (एसयूबीटी) के ट्रस्टियों को बुलाकर झूठी शिकायतों के आधार पर उनसे वसूली की मंशा जताना पहली ही बार सामने आ रहा है। चुनावों के लिए उद्योग घरानों से चंदा लेना कोई नई बात नहीं है। लेकिन उद्योगों का सिरमौर रहे महाराष्ट्र में देश के शीर्ष उद्योगपति से ही पैसा वसूली की साजिश रचना पहली बार देखा जा रहा है।
अंटीलिया प्रकरण की जांच एनआइए पहले ही शुरू कर चुकी है। मुंबई उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआइ भी परमबीर सिंह के आरोपों की जांच शुरू कर चुकी है। चूंकि 100 करोड़ रुपये की वसूली वाले मामले में करोड़ों के लेनदेन की बात सामने आ रही है, इसलिए जल्दी ही प्रवर्तन निदेशालय एवं आíथक अपराध से जुड़ी अन्य जांच एजेंसियां भी इसकी जांच में जुट जाएं, तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। अभी तो एक वरिष्ठ आइपीएस परमबीर सिंह एवं एक निलंबित एपीआइ सचिन वाङो की चिट्ठियां ही सामने आई हैं। एनआइए ने इन दोनों से पूछताछ भी की है। वाङो से कई दिनों की पूछताछ हो चुकी है।
परमबीर सिंह से भी चार घंटे पूछताछ हुई है। इसमें 100 करोड़ के टार्गेट की जांच शुरू हुई तो उन अधिकारियों से भी पूछताछ होगी, जिन्हें पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख बुलाकर वसूली का टार्गेट देते थे। इन अधिकारियों के नाम परमबीर की चिट्ठी में लिखे हैं। उनके इलेक्ट्रानिक सबूत भी परमबीर ने एनआइए को दिखाए ही होंगे। भविष्य में सीबीआइ भी इन सबूतों के आधार पर ही अपनी जांच आगे बढ़ाएगी। जांच का यह सिलसिला पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख से शुरू होकर, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार, परिवहन मंत्री अनिल परब से होते हुए कहां जाकर रुकेगा, अभी कहना मुश्किल है।
[मुंबई ब्यूरो प्रमुख]