पुलिस से ज्यादा मुंबई की जेलों से डर रहा है गैंगस्टर रवि पुजारी, सता रहा है मारे जाने का डर
रवि का वकील मुंबई में कोरोना के मामले ज्यादा होने एवं उसे मुंबई ले जाने पर कर्नाटक के मामलों की सुनवाई में देरी होने के तर्क भी दे रहे हैं। कोर्ट में इस तरह की चाहे जितनी भी दलीलें पेश की जाए।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। 20 नवंबर.. गैंगस्टर रवि पुजारी इन दिनों कर्नाटक की जेल में है। मुंबई पुलिस उस पर मुंबई में दर्ज मामलों में पूछताछ करना चाहती है। बेंगलुरु के सत्र न्यायालय ने उसे मुंबई ले जाने की अनुमति भी दे दी है। इसके बावजूद रवि मुंबई नहीं आना चाहता है, क्योंकि उसे मुंबई पुलिस से ज्यादा डर मुंबई की जेलों बंद छोटा राजन के साथियों से लग रहा है। उसे आशंका है कि यदि उसे मुंबई या ठाणो की किसी जेल में रखा गया, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है।
रवि पुजारी को पिछले वर्ष फरवरी में दक्षिण अफ्रीका के सेनेगल से प्रत्यापित कर भारत लाया गया था। चूंकि उस पर अधिक मामले उसके गृहराज्य कर्नाटक में दर्ज थे, इसलिए उन मामलों में बेंगलुरु पुलिस ने उससे पूछताछ शुरू की। कर्नाटक में उस पर 107 मामले दर्ज हैं। लेकिन मुंबई पुलिस को भी डेढ़ दर्जन से ज्यादा मामलों में उसकी तलाश है। वह उसे कब्जे में लेकर पूछताछ करना चाहती है। छोटा राजन गैंग में रहते हुए एवं 2000 में उससे अलग होने के बाद मुंबई में उसने हफ्ता वसूली एवं हत्या की कई घटनाओं को अंजाम दिया था। पिछले दो दशक में एक ओर जहां मुंबई में दाऊद एवं छोटा राजन के गैंग कमजोर पड़ गए थे, वहीं रवि पुजारी का नाम तेजी से उभर कर सामने आया था। वह विदेश में रहकर ही बिल्डरों एवं सिने जगत के लोगों को धमकियां देकर उनसे वसूली किया करता था। धमकियां देने में उसने नेताओं एवं अधिकारियों को भी नहीं बख्शा। यही वजह है कि एक ओर तो उसने प्रशासनिक एवं राजनीतिक हल्के में अपने कई दुश्मन खड़े कर लिए हैं। दूसरी ओर उसे अपने पुराने आका छोटा राजन का भी डर है।
महाराष्ट्र की शायद ही कोई बड़ी जेल होगी, जिसमें छोटा राजन गिरोह के लोग बंद न हों, या उनकी पहुंच वहां तक न हो। माना जाता है कि जेल की सलाखों के पीछे पहुंचकर अपराधी अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित रहते हैं। लेकिन छोटा राजन गैंग के एक सदस्य डीके राव ने 2002 में इसी गैंग के एक सदस्य ओ.पी.सिंह को नासिक जेल में मार डाला था। ओ.पी.सिंह एक समय छोटा राजन का बहुत भरोसेमंद साथी था। मुंबई में छोटा राजन के पैसों का हिसाब-किताब ओ.पी.सिंह ही रखता था। जब ओ.पी.सिंह ने अपने पैर जमाना शुरू किया तो राजन ने उसे जेल के अंदर ही खत्म करवा दिया।
रवि पुजारी पर तो राजन की निगाहें तब से है जब बैंकाक में उस पर हमला हुआ था। उसे शक रहा है कि उसके बैंकाक में छिपने की सूचना रवि पुजारी ने ही छोटा शकील तक पहुंचाई थी। इस हमले में छोटा राजन खुद तो खिड़की के रास्ते भागकर बच गया था, लेकिन उसका एक भरोसेमंद साथी रोहित वर्मा मारा गया था। छोटा राजन गैंग में रवि पुजारी की हैसियत रोहित वर्मा के बाद हुआ करती थी। रोहित वर्मा के मारे जाने के बाद रवि पुजारी उसकी जगह लेना तो दूर छोटा राजन की आंख की किरकिरी बन गया। रवि जानता है कि मौका मिल गया तो छोटा राजन आज भी उसे बख्शेगा नहीं।
रवि के वकील दिलराज सिक्वेरा ने बेंगलुरु के सत्र न्यायालय की अनुमति को वहां के उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए रवि पुजारी को मुंबई ले जाने का विरोध किया है। उच्च न्यायालय में सिक्वेरा तर्क दे सकते हैं कि मुंबई पुलिस ने वहां के सत्र न्यायालय में जिस राजू पाटिल मामले का हवाला देकर उसे मुंबई ले जाने की बात कही है, वह मामला भारत सरकार द्वारा दक्षिण अफ्रीका को दी गई प्रत्यर्पण की सूची में शामिल ही नहीं था।