Mumbai Terror Attack: मुंबई 26/11 हमले की प्रत्यक्षदर्शी देविका ने की सरकार से मदद की अपील
26/11 Terror Attack मुंबई में 26/11 हमले की प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन ने सरकार से सहयोग की अपील की है लॉकडाउन अवधि में वह परेशानियों का सामना कर रही है।
मुंबई, एएनआइ। मुंबई में 26 नवंबर 2008 हुए आंतकी हमले में जीवित बची और प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन का कहना है कि वह लॉकडाउन अवधि के बाद से काफी कठिनाई का सामना कर रही है। मुंबई हमले के मद्देनजर सरकार ने उसकी मदद करने की बाद कही थी वह सरकार से उसे पूरा करने का अनुरोध कर रही है, देविका का कहना है कि उसे सरकार के सहयोग की जरूररत है।
देविका रोटावन का कहना है कि, "सरकार ने उसे एक घर और हर तरह के सहयोग करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री की ओर से उसे 10 लाख रुपये दिये गये थे जिसका इस्तेमाल वह टीबी के इलाज के लिए कर चुकी है, इसके लिए वह सरकार की शुक्रगुजार है लेकिन उससे किये गये सारेे वादे अभी पूरे नहीं हुए है।"
कौन है देविका रोटावन
देविका वहीं लड़की है जो 26/11 आतंकी हमले की सबसे छोटी चश्मदीद गवाह बनकर सामने आई थी। इस हमले के आरोपी कसाब को देविका ने फांसी के फंदे तक पहुंचाया था। लेकिन इस घटना के बाद से देविका को ही लोग ‘कसाब की बेटी’ कहकर पुकारने लगे। इस घटना के समय देविका की उम्र मात्र 9 वर्ष थीं। देविका के ज़हन में आज भी उस हमले का दर्द ताज़ा है या यूं कहें कि लोगों ने उसके इस ज़ख़्म को कभी भरने ही नहीं दिया।
देविका के पैर में लगी थी गोली उम्र मात्र वर्ष
26/11 हमले के दौरान मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर आतंकियों ने सबसे ज़्यादा लोगों को निशाना बनाया था। देविका भी इसे हमले का शिकार हुई थी और उसके पैर में गोली लगी थी। हमले वाली उस काली रात देविका अपने पिता और भाई के साथ पुणे जा रही थी और स्टेशन पर बैठी ट्रेन की प्रतीक्षा कर रही थीं। प्लेटफॉर्म 12 पर मौजूद देविका का भाई जब टॉयलेट गया तभी आतंकियों ने गोलीबारी शरु कर दी। देविका के पिता ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों भागने लगे। लेकिन तभी आतंकियों की गोली देविका के पैर में लग गयी। गोली लगते ही देविका ज़मीन पर गिर पड़ी और तभी उसने अपने सामने कसाब को देखा जो मुस्कुरा रहा था। देविका ने बताया कसाब के चेहरे पर इसका बिलकुल भी अफसोस नहीं था कि वो क्या कर रहा है।