Maharashtra: सचिन वाझे को कोर्ट ने 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा
Maharashtra मुंबई पुलिस के निलंबित एपीआइ सचिन वाझे को विशेष एनआइए अदालत ने शुक्रवार को 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। न्यायिक हिरासत के दौरान सचिन वाझे को रायगढ़ की तलोजा जेल में रखा जाएगा।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: करीब 26 दिन एनआइए की हिरासत में रहने के बाद मुंबई पुलिस के निलंबित एपीआइ सचिन वाझे को विशेष एनआइए अदालत ने शुक्रवार को 23 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। न्यायिक हिरासत के दौरान वाझे को रायगढ़ की तलोजा जेल में रखा जाएगा। वाझे को मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक लदी स्कार्पियो खड़ी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में इसी स्कार्पियो के कथित मालिक मनसुख हिरेन की हत्या के मामले में भी उसे आरोपित बनाया जा चुका है। महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगे 100 करोड़ रुपये की उगाही मामले में भी उससे पूछताछ की जा रही है।
अंटीलिया मामले में 12 घंटे की पूछताछ के बाद सचिन वाझे को एनआइए ने 13 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था। फिर मनसुख हिरेन हत्याकांड की जांच एनआइए के हाथ में आने के बाद एनआइए ने इस मामले में भी वाझे से पूछताछ शुरू कर दी थी। दोनों मामलों में उसे कई जगह ले जाकर सीन रीक्रिएट करवाया गया व कई सबूत भी बरामद करवाए गए। इसी कड़ी में वाझे के सीआइयू कार्यालय से एनआइए ने एक डायरी भी बरामद की थी। एनआइए ने विशेष एनआइए कोर्ट से वाझे की हिरासत बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन विशेष अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मनसुख हत्याकांड में उसके दो सहआरोपितों विनायक शिंदे व नरेश गोर पहले ही न्यायिक हिरासत में भेजे जा चुके हैं। सचिन वाझे को रायगढ़ की उसी तलोजा जेल में रखा जाएगा, यहां कुछ माह पहले उसके द्वारा गिरफ्तार किए गए पत्रकार अर्नब गोस्वामी को रखा गया था।
एनआइए अदालत में पेश किए जाने से पहले सीबीआइ ने भी वाझे से 100 करोड़ के वसूली मामले में पूछताछ की। वह गुरुवार को भी उससे इसी संबंध में पूछताछ कर चुकी है। सीबीआइ की यह जांच मुंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर हो रही है। उच्च न्यायालय ने सीबीआइ को महाराष्ट्र के गृहमंत्री रहे अनिल देशमुख पर लगे 100 करोड़ रुपये हर महीने की वसूली के आरोपों की प्राथमिक जांच करने को कहा है। प्राथमिक जांच में तथ्य पाए जाने पर सीबीआइ आपराधिक मामला दर्ज कर जांच शुरू करेगी। अपनी प्राथमिक जांच में वह अब तक वाझे के अलावा, पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, एसीपी संजय पाटिल, डीसीपी राजू भुजबल व एडवोकेट जयश्री पाटिल के बयान दर्ज कर चुकी है। जयश्री पाटिल की याचिका पर ही उच्च न्यायालय ने सीबीआई को इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
माना जा रहा है कि परमबीर सिंह ने संजय पाटिल व राजू भुजबल से हुई अपनी बातचीत के सबूत सीबीआइ को सौंपे हैं। सिंह ने मुख्यमंत्री को लिखे अपने आठ पृष्ठों के पत्र में एसीपी पाटिल से हुई वाट्सएप्प चैट जस की तस लिखी थी। कहा जा रहा है कि संजय पाटिल व भुजबल ने परमबीर के आरोपों से कन्नी काटी है। लेकिन सचिन वाझे ने एनआइए कोर्ट को लिखे अपने पत्र में परमबीर के आरोपों की पुष्टि की है। सूत्रों के अनुसार, खुद परमबीर ने भी सीबीआइ को कुछ ऐसे तथ्य उपलब्ध कराए हैं, जो सीबीआइ के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।