उप्र के औद्योगीकरण के लिए मुंबई में होगा मंथन
मुंबई में निवेश आमंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों का आना कोई नई बात नहीं है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के भी कई मुख्यमंत्री पहले भी यहां आए हैं।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास को गति देने के लिए देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में दो दिन के मंथन का मंच तैयार हो गया है। 21 और 22 दिसंबर को यह मंथन चुनिंदा उद्योगपतियों और बैंकरों के साथ होगा। इसमें एक दिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा राज्य सरकार के अनेक आला अधिकारी इसमें हिस्सा लेंगे।
21-22 फरवरी को लखनऊ में लगभग वैसे ही निवेशक सम्मेलन की योजना बन चुकी है, जैसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 'वाइब्रेंट गुजरात' नाम से वहां शुरू किया था। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी भी उपस्थित रहेंगे। इसलिए इसकी तैयारियों के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, मंत्री और शीर्ष अधिकारी देश के प्रमुख शहरों में जाकर रोड शो कर रहे हैं। दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद में रोड शो हो चुके हैं। अब मुंबई में होना है। उत्तर प्रदेश के उद्योग मंत्री सतीश महाना के साथ-साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद मौजूद रहेंगे।
मुंबई में निवेश आमंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों का आना कोई नई बात नहीं है। यहां तक कि उत्तर प्रदेश के भी कई मुख्यमंत्री पहले भी यहां आए हैं। फिर इस बार नया क्या होगा? इसके जवाब में कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआइआइ), उत्तर प्रदेश के प्रमुख आलोक शुक्ला कहते हैं कि राज्य को 10 साल के बाद पहली बार उद्योग मंत्री मिला है। इससे पहले यह विभाग मुख्यमंत्रियों के पास ही हुआ करता था। इससे योगी सरकार की उद्योग विकास के प्रति गंभीरता समझी जा सकती है। यही नहीं, योगी सरकार ने अपने गठन के 10 माह के अंदर ही नई उद्योग नीति लाकर भी प्रदेश में उद्योगों के विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का आभास करा दिया है। बता दें कि इस सम्मेलन में उत्तर प्रदेश सरकार का निवेश साझेदार सीआइआइ ही है।
उत्तर प्रदेश के सूचना निदेशक अनुज झा के अनुसार सीआइआइ ने ही 22 दिसंबर को देश के चुनिंदा उद्योगपतियों एवं बैंकरों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक का आयोजन किया है। मुख्यमंत्री की मौजूदगी में शीर्ष अधिकारी उद्योगपतियों को प्रदेश की नई उद्योग नीति की जानकारी देंगे। अनुज झा कहते हैं कि प्रदेश के नोएडा-गाजियाबाद जैसे क्षेत्रों में पहले भी आइटी और इलेक्ट्रॉनिक्स की कई कंपनियां निवेश कर चुकी हैं। अब बारी है पूर्वी उत्तर प्रदेश और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देने की। इन क्षेत्रों में निवेश के लिए प्रदेश सरकार ने विशेष सुविधाएं देने की नीति तैयार की है। मसलन जीएसटी जैसी एक कर प्रणाली लागू होने के बावजूद इन पिछड़े क्षेत्रों में निवेश करनेवाले उद्योगपतियों को जीएसटी पर 300 फीसद तक अनुदान देने का लक्ष्य रखा गया है।
योगी सरकार पूर्व की सरकारों से एक कदम आगे बढ़कर इस बार ऐसे निवेशकों से भी चर्चा कर रही है, जो मूलत: उत्तर प्रदेश के हैं, लेकिन अन्य राज्यों में उल्लेखनीय प्रगति कर चुके हैं। ऐसे उद्योगपतियों से संवाद साधने के लिए योगी सरकार एसोचैम यूपी की उद्योग विकास समिति एवं उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम (यूपीडीएफ) जैसे संगठनों का सहयोग ले रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी हाल ही में अपने गुजरात दौरे के बीच दक्षिण गुजरात के उत्तर भारतीय उद्योगपतियों से मुलाकात कर उनसे घरवापसी का आग्रह कर चुके हैं।
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