Move to Jagran APP

दो राज्यों की उम्मीदें परवान चढ़ा रहा एक औद्योगिक गलियारा

महाराष्ट्र का तीन दिवसीय निवेशक सम्मेलन 'मैगनेटिक महाराष्ट्र : कन्वरजेंस 2018' के नाम से मुंबई में होने जा रहा है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 11 Feb 2018 11:57 AM (IST)Updated: Sun, 11 Feb 2018 11:57 AM (IST)
दो राज्यों की उम्मीदें परवान चढ़ा रहा एक औद्योगिक गलियारा
दो राज्यों की उम्मीदें परवान चढ़ा रहा एक औद्योगिक गलियारा

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। प्रस्तावित दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारा (डीएमआइसी) इन दिनों दो राज्यों के निवेश सम्मेलनों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र, दोनों अपने-अपने सम्मेलनों में निवेश जुटाने के लिए इस परियोजना का बखान करते नहीं थक रहे हैं।

loksabha election banner

अगले 12 दिनों के अंदर महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के निवेशक सम्मेलन भव्य स्तर पर होने जा रहे हैं। महाराष्ट्र का तीन दिवसीय निवेशक सम्मेलन 'मैगनेटिक महाराष्ट्र : कन्वरजेंस 2018' के नाम से 18 से 20 फरवरी तक मुंबई में होने जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश का निवेशक सम्मेलन 'इन्वेस्टर्स समिट 2018' भी इसके ठीक बाद 21-22 फरवरी को होना है। संयोग से इन दोनों सम्मेलनों का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होना है। इधर, फड़नवीस सरकार बनने के बाद राज्य में निवेश आमंत्रित करने के लिए यह पहला बड़ा जमावड़ा है। उधर, योगी सरकार आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी पहली बार ही इस प्रकार का कोई सम्मेलन करने जा रही है। इसे भी संयोग ही कहेंगे कि ये दोनों ही राज्य अपनी-अपनी भौगोलिक सीमाओं को एक-दूसरे से जोड़ने वाले दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे की खूबियां भुनाकर निवेशकों को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं।

दिल्ली मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआइसी) देश की राजधानी दिल्ली को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से जोड़नेवाली भारत की अत्यंत महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका निर्माण जापान के सहयोग से किया जा रहा है। माना जाता है कि यह परियोजना पूरी होने के बाद देश की औद्योगिक प्रगति को पंख लग जाएंगे। उत्तर प्रदेश के दादरी से शुरू होकर महाराष्ट्र के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट पर समाप्त होनेवाला 1483 किलोमीटर लंबा यह औद्योगिक गलियारा देश के छह राज्यों से होकर गुजरेगा। इसका 38 फीसद हिस्सा गुजरात से, 39 फीसद राजस्थान से, 10-10 फीसद हिस्सा महाराष्ट्र एवं हरियाणा से तथा सिर्फ 1.5-1.5 फीसद हिस्सा दिल्ली और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरेगा।

लेकिन उत्तर प्रदेश के लिए यह डेढ़ फीसद ही उम्मीद की सबसे बड़ी किरण है। जिसे भुनाने से वह चूक नहीं रहा है। इन्वेस्टर्स समिट 2018 से पहले देश के सात प्रमुख शहरों में हुए उत्तर प्रदेश सरकार के रोड शो के दौरान उद्योगमंत्री सतीश महाना एवं उद्योग विकास आयुक्त अनूपचंद्र पांडेय यमुना एक्सप्रेस वे और आगरा एक्सप्रेस वे के साथ इस औद्योगिक गलियारे का जिक्र करना कहीं नहीं भूले। क्योंकि उत्तर प्रदेश में तैयार होनेवाला उत्पाद इसी औद्योगिक गलियारे से चलकर दक्षिण-पश्चिम के राज्यों एवं जवाहरलाल नेहरू पोर्ट से विदेशी बाजारों तक पहुंच सकता है। जाहिर है, उत्तर प्रदेश के लिए यह औद्योगिक गलियारा किसी वरदान से कम नहीं है।

दूसरी ओर, महाराष्ट्र सरकार भी अपने निवेशक सम्मेलन में इस गलियारे का जमकर प्रचार कर रही है। क्योंकि यह महाराष्ट्र के 36 जिलों में से आठ यानी ठाणे, नंदुरबार, नासिक, रायगढ़, पुणे, औरंगाबाद एवं अहमदनगर से गुजरेगा और सूबे की 26 फीसद आबादी को प्रभावित करेगा। महाराष्ट्र वैसे भी विकसित राज्यों की श्रेणी में आता है। सबसे पुराना मुंबई बंदरगाह इसके पास होने का लाभ महाराष्ट्र को काफी पहले से मिलता आ रहा है। इसके बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस का मानना है कि यह औद्योगिक गलियारा न सिर्फ महाराष्ट्र के आर्थिक-सामाजिक ढांचे में बदलाव लाएगा, बल्कि देश का भी चेहरा बदलने में मददगार होगा।

महाराष्ट्र की अन्य खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.