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Maharashtra: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर किया दावा- मुंबई महानगर में और बढ़ा वन क्षेत्र

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि उक्त भूखंड अब राज्य के वन विभाग एवं एसजीएनपी को सौंप दिया गया है। इससे मुंबई के बीचोबीच स्थित वनक्षेत्र के फलने-फूलने का रास्ता साफ हो गया है।

By Priti JhaEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 01:22 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 01:33 PM (IST)
Maharashtra: मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर किया दावा- मुंबई महानगर में और बढ़ा वन क्षेत्र
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मुंबई महानगर में और बढ़ा वन क्षेत्र

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। दूर से मुंबई की कल्पना करनेवालों को सुनने में अजीब लग सकता है कि इस महानगर में 812 एकड़ वन क्षेत्र और बढ़ गया है। खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर जानकारी दी कि आरे कालोनी के अंतर्गत आनेवाले इस क्षेत्र को अब वन विभाग एवं संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान को सौंप दिया गया है। भारतीय वन अधिनियम की धारा- 4 के तहत अब इस भूमि पर कोई विकास कार्य नहीं हो सकेगा।

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मुंबई का कुल क्षेत्रफल 603.4 वर्ग किमी. है। इसका लगभग छठवां भाग, यानी 100 वर्ग किमी. के आसपास संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान (एसजीएनपी), फिल्म सिटी एवं आरे कालोनी के अंतर्गत आनेवाला हरित क्षेत्र है। इसमें सर्वाधिक 87 वर्ग किमी. क्षेत्रफल दुनिया में किसी महानगर के बीचो-बीच स्थित एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान एसजीएनपी के पास है। अब आरे कालोनी का 812 एकड़ हिस्सा एसजीएनपी में शामिल होने के बाद एसजीएनपी का क्षेत्रफल 90 वर्ग किमी. से अधिक हो जाएगा।

पिछले वर्ष सितंबर में ही डेयरी विकास मंत्री सुनील केदार एवं वनमंत्री आदित्य ठाकरे ने एक बैठक में आरे कालोनी के अंतर्गत आनेवाली 812 एकड़ भूमि को वन क्षेत्र घोषित करने का फैसला किया था। सोमवार के खुद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर यह जानकारी दी कि उक्त भूखंड अब राज्य के वन विभाग एवं एसजीएनपी को सौंप दिया गया है। इससे मुंबई के बीचोबीच स्थित वनक्षेत्र के फलने-फूलने का रास्ता साफ हो गया है।

बता दें कि मुंबई के उत्तरी सिरे पर वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे से सटे गोरेगांव, मालाड एवं बोरीवली उपनगरों में एक बड़ा हिस्सा हरित क्षेत्र है। इसी हरित क्षेत्र के एक हिस्से पर 1949 में मुंबई जैसे उभरते महानगर को दुग्ध आपूर्ति करने के लिए आरे मिल्क कालोनी की शुरुआत की गई थी। इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने किया था। 1977 में आरे कालोनी के ही 490 एकड़ हरेभरे भूखंड को फिल्मसिटी बनाने के लिए दे दिया गया। लेकिन अब भी 3000 एकड़ से अधिक भूमि पर स्थित आरे कालोनी में करीब 16000 दुधारू पशुओं को रखा जाता है। इस हरेभरे क्षेत्र में वन्य जीव-जंतुओं की 287 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें से पांच प्रजातियां तो इंटरनेशनल यूनियन फार कंजर्वेशन आफ नेचर (आईयूसीएन) में भी दर्ज हैं।

आरे कालोनी का एक हिस्सा वन क्षेत्र घोषित होने एवं संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान में जुड़ जाने के बाद एसजीएनपी के वन्य जीवों का दायरा भी बढ़ जाएगा। फिलहाल एसजीएनपी में 47 तेंदुओं की रिहायश के प्रमाण मिलते हैं, जिसे इतने क्षेत्रफल में तेंदुओं की सबसे घनी आबादी कहा जा सकता है। यही कारण है कि मुंबई एवं ठाणे के वन क्षेत्रों से सटी बस्तियों में अक्सर तेंदुओं के हमले की खबरें आती रहती हैं। आरे कालोनी के लगभग पांचवें हिस्से के वन क्षेत्र घोषित हो जाने के बाद इन जीव-जंतुओं को भी अपने क्षेत्र विस्तार का अवसर प्राप्त होगा।

राजनीतिक विवादों में रहा आरे

आरे कालोनी पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले मेट्रो कारशेड के निर्माण को लेकर विवादों में आ चुकी है। पूर्व की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने आरे कालोनी के एक हिस्से में मेट्रो कारशेड बनाने का निर्णय कर दिया था। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले उसके लिए बड़ी संख्या में पेड़ भी काट दिए गए। राज्य सरकार के इस निर्णय का कई पर्यावरण प्रेमी संगठनों ने विरोध किया। तब भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही शिवसेना भी इस विरोध में शामिल हुई और उसने घोषणा की कि यदि वह सरकार में आई, तो आरे कालोनी में बनने वाले मेट्रो कारशेड की योजना रद्द कर देगी। संयोग से चुनाव बाद राज्य में शिवसेना के ही नेतृत्व में सरकार बनी एवं शिवसेना को अपना वायद पूरा करने का अवसर भी मिल गया।

आरे कालोनी के एक हिस्से में बन रहे मेट्रो कारशेड का काम नई सरकार ने रोक दिया। उद्धव सरकार ने यह कारशेड पूर्वी उपनगर कांजुरमार्ग में बनवाना शुरू किया था। लेकिन केंद्र सरकार के नमक विभाग ने उसे अपनी जमीन बताते हुए उच्चन्यायालय से नया आदेश पारित करवाते हुए वहां भी मेट्रो कारशेड का काम रुकवा दिया। तब से अब तक उद्धव सरकार मेट्रो कारशेड के लिए नई जगह नहीं ढूंढ पाई है। 


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