Maharashtra: पालघर अग्निकांड में विरार अस्पताल के सीईओ और सीएओ गिरफ्तार, पुलिस रिमांड पर भेजा
Maharashtra पालघर जिले के विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में शुक्रवार को लगी आग के मामले में पुलिस ने रविवार को अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डा. दिलीप बस्तीमल शाह और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी डा. शैलेष धर्मदेव पाठक को गिरफ्तार कर लिया।
मुंबई, प्रेट्र। Maharashtra: महाराष्ट्र में पालघर जिले के विरार स्थित विजय वल्लभ अस्पताल में शुक्रवार को लगी आग के मामले में पुलिस ने रविवार को अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डा. दिलीप बस्तीमल शाह और मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (सीएओ) डा. शैलेष धर्मदेव पाठक को गिरफ्तार कर लिया। इस अग्निकांड में 15 कोरोना रोगियों की मौत हो गई थी। एक अधिकारी ने बताया कि 56 वर्षीय डा. शाह और 47 वर्षीय डा. पाठक को गिरफ्तारी के बाद वसई की एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। मीरा-भयंदर वसई-विरार पुलिस की अपराध शाखा के अधिकारी ने कहा कि उन्हें लापरवाही और अग्नि सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
मुंबई से करीब 70 किमी दूर स्थित पालघर जिले के विरार में इस चार मंजिला अस्पताल के दूसरे तल पर स्थित आइसीयू में शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे आग लग गई थी जिस पर सुबह करीब 5.20 बजे काबू पाया जा सका था। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अस्पताल ने राज्य सरकार और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न नियमों और दिशा-निर्देशों का कथित रूप से उल्लंघन किया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल ने इस साल अग्नि सुरक्षा आडिट भी नहीं कराया था। साथ ही उसके पास अग्निशमन विभाग का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) भी नहीं था।
गौरतलब है कि दुर्भाग्य महाराष्ट्र का पीछा नहीं छोड़ रहा है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के एक कोरोना अस्पताल में आइसीयू का एसी फटने से 15 मरीजों को जान से हाथ धोना पड़ा। 13 मरीजों की मौत जहां आइसीयू में हुई, वहीं दो मरीजों ने बाद में दम तोड़ दिया। विरार पुलिस स्टेशन में अस्पताल के निदेशकों और प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। इसी सप्ताह बुधवार को नासिक के एक कोरोना अस्पताल में आक्सीजन की आपूíत बाधित होने से 24 मरीजों की जान जा चुकी है। शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे मुंबई से सटे विरार के विजय वल्लभ अस्पताल में यह हादसा हुआ। आइसीयू की एसी यूनिट में धमाके के बाद आग लग गई। आग ने पलक झपकते ही पूरे आइसीयू को अपनी चपेट में ले लिया। हादसे के समय आइसीयू में 17 मरीज भर्ती थे। दरवाजे के पास के बिस्तरों पर लेटे सिर्फ चार मरीजों को किसी तरह बाहर निकाला जा सका। बाकी 13 मरीजों की जलने से मौत हो गई।