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बांबे हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार गैर कोविड-19 मरीजों का इलाज करे सुनिश्चित

अदालत ने अब याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे विशेषज्ञों और निजी संस्थानों से सलाह करें और अधिकारियों के लिए यथार्थवादी सुझावों की सूची सौंपें।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Sun, 17 May 2020 12:31 AM (IST)Updated: Sun, 17 May 2020 12:33 AM (IST)
बांबे हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार गैर कोविड-19 मरीजों का इलाज करे सुनिश्चित
बांबे हाई कोर्ट ने दिया निर्देश, बीएमसी और महाराष्ट्र सरकार गैर कोविड-19 मरीजों का इलाज करे सुनिश्चित

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) को निर्देश दिया है कि वे गैर कोविड-19 मरीजों का इलाज सुनिश्चित करने के लिए कुछ याचिकाकर्ताओं द्वारा दिए गए सुझावों पर गौर करे।

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मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूíत एए सैयद की पीठ ने शुक्रवार को कहा कि अधिकारी ऐसे सुझावों को तभी स्वीकार करेंगे जब वह 'यथार्थवादी' और 'चिकित्सा प्रोटोकॉल के भीतर' हों।

अदालत एक अधिवक्ता और कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि कई पुरानी और गंभीर बीमारियों से पीडि़त लोगों को क्लीनिक और अस्पतालों से लौटाया जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने साथ ही कोविड-19 महामारी के बीच राज्य, निकाय संचालित और निजी अस्पतालों में पर्याप्त सुविधाओं की कमी जैसे मुद्दों को रेखांकित किया।

मोबाइल क्लीनिक और पैरामेडिकल सेवाएं करानी होंगी मुहैया

इससे पहले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक की वकील गायत्री सिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया था कि अधिकारियों को गैर कोविड-19 रोगियों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर शुरू करना चाहिए, जिससे उन्हें एंबुलेंस, मोबाइल मेडिकल सहायता तथा इलाज मुहैया कराने वाले अस्पताल और क्लीनिक की सूची मिल सके। याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा कि विभिन्न स्थानों पर मोबाइल क्लीनिक और पैरामेडिकल सेवाएं मुहैया करानी होंगी, जिससे ऐसे मरीजों की मदद की जा सके जिन्हें अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं हैं, लेकिन प्रारंभिक जांच, डायलीसिस आदि की जरूरत है। पीठ ने हालांकि कहा कि याचिकाओं द्वारा दिए गए सुझावों में से कुछ मूल्यवान हैं और महामारी से उत्पन्न समस्याओं से मुकाबले के लिए सभी विकल्प की तलाश करना जरूरी है, इसलिए अधिकारियों को इन्हें लागू करने के बारे में विचार करना चाहिए। अदालत ने अब याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया है कि वे विशेषज्ञों और निजी संस्थानों से सलाह करें और अधिकारियों के लिए यथार्थवादी सुझावों की सूची सौंपें। पीठ ने कहा कि राज्य और बीएमसी इन सुझावों पर विचार कर सकते हैं और अदालत को इस बारे में 22 मई को सूचित कर सकते हैं।

जनजातीय समुदाय तक पहुंचाएं सुविधाएं

बांबे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के बीच राज्य भर में जनजातीय समुदाय तक भोजन एवं मूलभूत सुविधाएं पहुंचे।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता की अध्यक्षतावाली खंडपीठ विवेक पंडित द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बंद के दौरान राज्य में जनजातीय समुदाय के लोगों की तकलीफों का उल्लेख किया गया है। याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार और निकाय अधिकारियों को ठाणे, पालघर, रायगढ़, नासिक, धुले, नंदूरबार, जलगांव, चंद्रपुर, गढ़चिरोली, भंडारा, गोंदिया, नागपुर, यवतमाल और अमरावती जिलों के आदिवासियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। अतिरिक्त सरकारी वकील वीबी सामंत ने अदालत को शुक्रवार को बताया कि सरकार ने राज्य भर में जनजातीय समुदायों तक खाद्यान्न पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।


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