Bhima Koregaon case: हाईकोर्ट का सुधा, फरेरा व गोंजालविस को बेल देने से इंकार
Bhima Koregaon case बांबे हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज अरुण फरेरा और वर्नन गोंसाल्वेस को जमानत देने से इंकार कर दिया।
मुंबई, एएनआइ। भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज, अरुण फरेरा और वर्नन गोंसाल्वेस को जमानत देने से इंकार कर दिया है। इन कार्यकताओं पर प्रतिबंधित माओवादी संगठन के साथ संबंध क आरोप है। लगभग एक माह तक दलीलें सुनने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज वर्नोन गोंसाल्विस, सुधा भारद्वाज और अरुण फरेरा की जमानत याचिका पर ये आदेश दिया है। जस्टिस सारंग कोतवाल की एकल न्यायधीश खंडपीठ 27 अगस्त लगातार इन तीनों आरापितों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस मामले में अदालत ने 7 अक्टूबर को अपने आदेश सुरक्षित रखे थे।
गौरतलब है कि बीते दिनों आरोपित आरोपी वरवर राव की अस्थायी जमानत की याचिका को भी पुणे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। वरवरा राव ने अपनी भाभी के निधन के बाद की रस्मों में शामिल होने के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी। राव ने 29 अप्रैल से लेकर 4 मई तक के लिए अस्थायी जमानत की मांग की थी।
दरअसल राव की भाभी का निधन 22 अप्रैल को हुआ था और ठीक उसी दिन उन्होंने अस्थायी जमानत के लिए याचिका दायर की थी। राव ने दायर की गयी याचिका में राव ने कहा था कि उसकी भाभी का निधन हो गया है इसलिए उसे 29 अप्रैल से 4 मई तक विशेष अस्थायी जमानत दे दी जाए या फिर पुलिस एस्कॉर्ट के साथ हैदराबाद में भेजा जाए।
भीमा कोरेगांव हिंसा
वर्ष 2017 में 31 दिसंबर के दिन यलगार परिषद के बाद ही एक जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव हिंसा हुई थी। पुणे पुलिस के अनुसार यलगार परिषद का आयोजन प्रतिबंधित मायो संगठन के सहयोग द्वारा किया गया था। इस संबंध में पुलिस को आनंद तेलतुंबड़े के कई माओवादियों से संबंध के सबूत मिले थे।
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