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Maharashtra: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को सुननी पड़ी बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार

Maharashtra परमबीर सिंह उच्च न्यायालय में दायर अपनी जनहित याचिका पर आज खुद ही घिरते नजर आए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आपके सामने ही अपराध होता रहा और आपने एफआइआर क्यों हीं दर्ज करवाई?

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 31 Mar 2021 03:37 PM (IST)Updated: Wed, 31 Mar 2021 09:27 PM (IST)
Maharashtra: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को सुननी पड़ी बॉम्बे हाईकोर्ट की फटकार
परमबीर सिंह से बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा, अनिल देशमुख के खिलाफ क्यों नहीं दर्ज कराई एफआइआर। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह उच्च न्यायालय में दायर अपनी जनहित याचिका पर आज खुद ही घिरते नजर आए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि आपके सामने ही अपराध होता रहा और आपने एफआइआर क्यों हीं दर्ज करवाई? फिलहाल उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सर्वोच्च न्यायालय से लौटा दिए जाने के बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। उनके वकील विक्रम ननकानी ने इस याचिका में कहा कि चूंकि इस मामले में कई बड़े लोग व राज्य सरकार के विभाग शामिल हैं, इसलिए उच्च न्यायालय को इस मामले की जांच राज्य के बाहर की सीबीआइ जैसी एजेंसी को सौंपना चाहिए।

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ननकानी ने इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के कुछ फैसले भी कोर्ट को दिखाई। लेकिन मुख्य न्यायाधीश दीपंकर दत्ता ने उनसे सीधा सवाल किया कि क्या इस मामले में आपने एफआइआर दर्ज कराई है? बिना एफआइआर के हम किसी भी जांच एजेंसी को जांच का आदेश कैसे दे सकते हैं? न्यायमूर्ति दत्ता ने ननकानी को रास्ता भी सुझाया कि यदि आप सीधे एफआइआर दर्ज नहीं कराना चाहते हैं तो सीआरपीसी की धारा 156 के तहत मैजिस्ट्रेट कोर्ट में जाइए, उनके आदेश पर एफआइआर दर्ज हो जाएगी। इस पर जब ननकानी ने कहा कि यह एफआइआर तो मुंबई पुलिस में दर्ज होगी, सीबीआइ में नहीं। हम चक्रव्यूह में नहीं फंसना चाहते। तो न्यायमूर्ति दत्ता ने फटकारते हुए कहा कि आप वरिष्ठ अधिकारी हैं, तो कानून से ऊपर नहीं हो सकते। क्या कानून सिर्फ आम लोगों के लिए है? आपको शर्म आनी चाहिए कि आज आदमी भी एफआइआर करवाने की हिम्मत नहीं जुटा पाता है।

सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी भी मुख्य न्यायाधीश को संतुष्ट नहीं कर सके। आशुतोष ने बताया कि राज्य सरकार ने खुद गृहमंत्री के आग्रह पर गृहमंत्री द्वारा 100 करोड़ रुपये की वसूली करवाने के प्रकरण की जांच करवाने का फैसला किया है और इसके लिए एक समिति भी बना दी है। लेकिन जब न्यायमूर्ति दत्ता ने पूछा कि क्या यह समिति कमीशन आफ इन्क्वायरी के तहत है, तो महाधिवक्ता को कहना पड़ा कि न तो यह जांच समिति कमीशन आफ इन्क्वायरी के तहत बनाई गई है, न ही इसे कोई वैधानिक अधिकार प्राप्त है। इस पर परमबीर सिंह के वकील ने कहा कि इससे पता चलता है कि यह समिति सिर्फ मामले को छुपाने के लिए बनाई गई है।

पूर्व पुलिस आयुक्त ने अपना स्थानांतरण किए जाने के बाद मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख उनके कनिष्ठ अधिकारियों को अपने पास बुलाकर 100 करोड़ रुपये हर महीने वसूली का टारगेट देते हैं। बाद में उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें उच्च न्यायालय में जाने की सलाह दी थी। इसके बाद ही परमबीर ने मुंबई उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि हम इस मामले में आपकी निजी याचिका पर तो सुनवाई कर सकते हैं, लेकिन जनहित याचिका पर नहीं।


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