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Maharashtra: विवादित फैसले सुनाने वाली बांबे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया

Maharashtra विवादित फैसले सुनाने वाली बांबे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला को और एक साल के लिए अतिरिक्त जज बनाया गया है। शनिवार को उन्होंने हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश की शपथ ली। अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल शुक्रवार को खत्म हो गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 13 Feb 2021 07:36 PM (IST)Updated: Sat, 13 Feb 2021 09:15 PM (IST)
Maharashtra: विवादित फैसले सुनाने वाली बांबे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया
विवादित फैसले सुनाने वाली बांबे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। Maharashtra: यौन उत्पीड़न मामले में हाल ही में दो विवादित फैसले सुनाने वाली बांबे हाई कोर्ट की जज पुष्पा गनेडीवाला को और एक साल के लिए अतिरिक्त जज बनाया गया है। शनिवार को उन्होंने हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश की शपथ ली। अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल शुक्रवार को खत्म हो गया था। बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ के वरिष्ठतम न्यायाधीश जस्टिस नितिन जामदार ने उनको पद की शपथ दिलाई। बांबे हाई कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस दीपांकर दत्ता भी शपथ ग्रहण समारोह में वर्चुअली शामिल हुए। दो विवादित फैसलों के बाद पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने जस्टिस गनेडीवाला को हाई कोर्ट के स्थायी जज के तौर पर पदोन्नत करने की सिफारिश वापस ले ली थी। कोलेजियम ने उन्हें अतिरिक्त जज के रूप में दो साल का नया कार्यकाल देने की सिफारिश की थी। हालांकि, शुक्रवार को जारी अधिसूचना में सरकार ने कहा कि उन्हें एक साल का नया कार्यकाल दिया जा रहा है।

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सुप्रीम कोर्ट ने इसलिए रोका था प्रमोशन

सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम ने बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश जस्टिस पुष्पा वीरेंद्र गनेडीवाला की स्थायी न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति के प्रस्ताव की मंजूरी को वापस ले लिया है। कोलेजियम ने कुछ मामलों में उनके हालिया विवादास्पद फैसलों के बाद यह कदम उठाया है। एक सूत्र ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत यौन हमले की उनकी व्याख्या पर हुई आलोचनाओं के बाद यह फैसला लिया गया है। जस्टिस गनेडीवाला ने 12 वर्षीय एक बच्ची के अंग विशेष को छूने के आरोपित व्यक्ति को पिछले दिनों बरी कर दिया था और कहा था कि आरोपित ने त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं किया था। इससे कुछ दिन पहले उन्होंने व्यवस्था दी थी कि पांच साल की बच्ची के हाथों को पकड़ना और ट्राउजर की जिप खोलना पॉक्सो कानून के तहत यौन अपराध नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की इस दलील के बाद हाई कोर्ट के आदेश पर 27 जनवरी को रोक लगा दी थी कि इससे खतरनाक नजीर बन जाएगी। प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाले कोलेजियम ने 20 जनवरी को जस्टिस गनेडीवाला को स्थायी न्यायाधीश बनाने के प्रस्ताव पर मुहर लगाई थी। इस महीने दो अन्य फैसलों में जस्टिस गनेडीवाला ने नाबालिग लड़कियों से दुष्कर्म के आरोपित दो लोगों को बरी कर दिया था और कहा था कि पीड़िताओं की गवाही आरोपितों पर आपराधिक जवाबदेही तय करने का भरोसा पैदा नहीं करती।

जानें, कौन हैं जस्टिस गनेडीवाला

जस्टिस गनेडीवाला का जन्म महाराष्ट्र में अमरावती जिले के परतवाडा में तीन मार्च, 1969 को हुआ था। वह अनेक बैंकों और बीमा कंपनियों के पैनल में अधिवक्ता रही थीं। उन्हें 2007 में जिला न्यायाधीश के तौर पर सीधे नियुक्त किया गया था और 13 फरवरी, 2019 को बांबे हाई कोर्ट की अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर प्रोन्नत किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यीय कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश के साथ ही जस्टिस एनवी रमना और आरएफ नरीमन भी शामिल हैं।


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