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पुणे के अजिंक्य दहिया ने निकाला सैनिटरी पैड के सुरक्षित निपटान का तरीका, 10 घंटों में 1500 नैपकीन होंगे रिसाइकिल

पुणे में रहने वाले 25 वर्षीय स्नातक अजिंक्य दहिया ने सैनिटरी नैपकीन के सुरक्षित निपटान के लिए एक रिसाइक्लिंग मशीन तैयार की है इस मशीन से 10 घंटों में 1500 सैनिटरी नैपकीन को रिसाइकिल किया जा सकता है। इंजीनियरिंग स्नातक अजिंक्य दहिया ने अपना स्वयं का स्टार्टअप स्थापित किया है

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2021 07:52 AM (IST)Updated: Thu, 04 Feb 2021 08:14 AM (IST)
पुणे के अजिंक्य दहिया ने निकाला सैनिटरी पैड के सुरक्षित निपटान का तरीका, 10 घंटों में 1500 नैपकीन होंगे रिसाइकिल
पुणे में रहने वाले अजिंक्य दहिया ने सैनिटरी नैपकीन को नष्‍ट करने के लिए रिसाइक्लिंग मशीन बनायी है।

पुणे,  एनआइ। महाराष्ट्र के पुणे में रहने वाले 25 वर्षीय स्नातक अजिंक्य दहिया ने सैनिटरी नैपकीन को नष्‍ट करने के लिए रिसाइक्लिंग मशीन बनायी है।अजिंक्य दहिया ने  बताया कि इस मशीन को बनाने का विचार मुझे कॉलेज के अंतिम वर्ष में आया। इस मशीन से 10 घंटों में  1,500 पैड्स को रिसाइकिल किया जा सकता है। मेरा लक्ष्‍य महिलाओं को स्‍थायी रूप से शौचालय स्‍वच्‍छता समाधान उपलब्‍ध करवाना है। 

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पैडकेयर लैब मशीन इस्तेमाल किए गए सैनिटरी नैपकिन से प्लास्टिक और सेलूलोज़ नाली को अलग करती है और उसके बाद रीसाइक्लिंग की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। 2018 में दहिया के मन में इस तरह की मशीन बनाने का विचार आया था। दरअसल शहर के कई संगठनों द्वारा सेनेटरी नैपकिन के सुरक्षित निपटान को सुनिश्चित करने के तरीकों के बारे में विचार किया जा  रहा था।

दहिया ने कहा कि इसके लिए शौचालयों में  विशेष रूप से डस्‍टबिन लगाये जाते हैं  इसमें 45 दिन तक नैपकीन एकत्रित किये जाते हैं। शौचालयों में लगाये गए इन खास डस्‍टबिन को 'सैनिबिंस' कहते हैं जो 30 से 45 दिनों के लिए उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन को स्टोर करने के लिए लगाये गए हैं ये डस्‍टबिन पूरी तरह से कीटाणु रहित हैं और इनमें किसी प्रकार की गंध भी पैदा नहीं होती है।

इन डस्‍टबिन से सैनिटरी पैड को मासिक क्रम के आधार पर एकत्रित किया जाता है और फिर पैडकेयर मशीनों में डाला जाता है। ये  प्रक्रिया पर्यावरण को किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं करती है और इसे रीसाइक्लिंग उत्पादों के लिए इस्तेमाल करने के लिए भी तैयार करती है।

अजिंक्य और उनकी टीम द्वारा हाल ही में प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लगभग 12 बिलियन उपयोग किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन उत्पन्न होते हैं, जिनमें से 98 प्रतिशत का निपटारा या तो लैंडफिल या जल निकायों द्वारा किया जाता है, जो पर्यावरण को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करते हैं।

उपयोग किए गए सैनिटरी नैपकिन से पुनर्नवीनीकरण सामग्री का उपयोग करते हुए, टीम ने कई सजावटी उत्पादों को भी डिज़ाइन किया है जिनका उपयोग घरों में किया जा सकता है। युवाओं की टीम का लक्ष्य सुरक्षित और पर्यावरण के अनुकूल सेनेटरी नैपकिन निपटान उपलब्ध करते हुए आने वाले वर्ष में इसे अधिकतम लोगों के लिए उपलब्ध कराना है।


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