Maharashtra: उद्धव ठाकरे के आंख-नाक-कान बनेंगे अजोय मेहता
Uddhav Thackeray. अजोय भी मुख्य सचिव बनने जा रहे संजय की तरह 1984 बैच के ही आइएएस हैं।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 30 जून को सेवानिवृत्त होने जा रहे मुख्य सचिव अजोय मेहता को अपना प्रधान सलाहकार नियुक्त कर लिया है। माना जा रहा है कि तीन दलों की साझा सरकार में मेहता का लंबा प्रशासनिक अनुभव मुख्यमंत्री के लिए पेंचीदा मसलों पर सही निर्णय लेने में मददगार साबित होगा।
बुधवार को ही मुख्यमंत्री ने 1984 बैच के आइएएस अधिकारी संजय कुमार को अगला मुख्य सचिव बनाने का निर्णय किया है। जबकि 30 जून को सेवानिवृत्त हो रहे अजोय मेहता अगले ही दिन, यानी एक जुलाई से मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार की भूमिका में रहेंगे। उद्धव के इस निर्णय पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। लेकिन सच यही है कि मुख्यमंत्री को प्रशासनिक अनुभव वाले एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो सही निर्णय लेने में मददगार होने के साथ ही उन्हें गलतियां करने से भी बचा सके। केंद्र में भाजपा की सरकार और राज्य में भाजपा के तीखे विपक्षी तेवरों का सामना करना कोविड-19 के बाद की परिस्थितियों में आसान नहीं होगा। ऊपर से कांग्रेस और राकांपा के साथ पाक-साफ सरकार चलाना भी उद्धव के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है।
अजोय भी मुख्य सचिव बनने जा रहे संजय कुमार की तरह 1984 बैच के ही आइएएस हैं। उनके पास मुंबई से लेकर दिल्ली तक और भाजपा से लेकर कांग्रेस-राकांपा तक के साथ काम करने का अनुभव है। 1995 से 1997 के बीच राज्य में चली शिवसेना-भाजपा सरकार में वह तत्कालीन उपमुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे के सचिव थे। भाजपा के ही प्रमोद महाजन जब सूचना एवं प्रसारण मंत्री बने तो वह मेहता को अपने साथ ले गए। 2005 में जब महाराष्ट्र भीषण ऊर्जा संकट से गुजर रहा था, तो मेहता ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी संभालकर बिजली की चोरी रोकने में सफल रहे। उस समय कांग्रेस-राकांपा की साझा सरकार में यह विभाग राकांपा के पास था और ऊर्जा मंत्री अजीत पवार थे। अब वही अजीत पवार उद्धव सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं।
उद्धव ठाकरे द्वारा मेहता का चयन इस जिम्मेदारी के लिए करने के पीछे संभवत: उनका तीन साल का बीएमसी आयुक्त का कार्यकाल रहा होगा। मुंबई महानगरपालिका में पिछले 30 वर्षो से शिवसेना की सत्ता है। 2014 से 2019 तक राज्य में भाजपा-शिवसेना भले सरकार में साथ रही हों, लेकिन दोनों दलों के रिश्ते छत्तीस के आंकड़े की तरह थे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने संभवत: शिवसेना के कामकाज पर नजर रखने के लिए मेहता को बीएमसी का आयुक्त बनाया था। मेहता ने तीन साल तक न सिर्फ मुख्यमंत्री फड़नवीस को संतुष्ट रखा, बल्कि शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भी शिकायत का मौका नहीं दिया। फड़नवीस ने बीएमसी आयुक्त रहे मेहता को ही राज्य का अगला मुख्य सचिव बनाया। मेहता का कार्यकाल 30 सितंबर को ही समाप्त हो रहा था, लेकिन विधानसभा चुनाव के कारण उनका कार्यकाल 30 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया।
संयोग देखिए कि 30 मार्च से पहले ही राज्य में कोविड-19 का संकट आ खड़ा हुआ। अब राज्य में उद्धव सरकार थी। एक बार फिर मेहता को तीन माह का सेवा विस्तार देने की सिफारिश केंद्र से की गई। महाराष्ट्र में कोरोना महामारी को देखते हुए केंद्र ने इस चेतावनी के साथ मेहता को तीन माह का सेवा विस्तार दिया कि इसे परंपरा न बनाया जाए। इन दिनों शिवसेना के साथ सरकार में शामिल कांग्रेस सशंकित थी कि कहीं मेहता को फिर से सेवा विस्तार न मिल जाए। कांग्रेस मेहता की ओर इशारा करते हुए परोक्ष रूप से शिकायत करती रही है कि कुछ अधिकारी महाविकास अघाड़ी के दलों में भ्रम फैला रहे हैं। उद्धव ने मेहता को तीसरा सेवा विस्तार तो नहीं दिया। लेकिन अब उन्हें ऐसी कुर्सी दे दी है, जहां से वह मुख्यमंत्री के लिए आंख-नाक-कान की भूमिका में रहेंगे।