महाराष्ट्र के अहमदनगर में मई में 9,900 बच्चे कोरोना पॉजिटिव, 95 फीसद में कोरोना के कोई लक्षण नहीं
कोरोना की तीसरी लहर का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर दिख सकता है यह आशंका महाराष्ट्र में सच साबित होती दिखने लगी है। राज्य के अहमदनगर जिले में सिर्फ मई माह में 9900 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए। इनमें 95 फीसद में कोरोना के कोई लक्षण नहीं पाए गए।
राज्य ब्यूरो, मुंबई! कोरोना की तीसरी लहर का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर दिख सकता है, यह आशंका महाराष्ट्र में सच साबित होती दिखने लगी है। राज्य के अहमदनगर जिले में सिर्फ मई माह में 9,900 बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए। राहत की बात यह रही कि इनमें 95 फीसद में कोरोना के कोई लक्षण नहीं पाए गए।
अहमदनगर के जिलाधिकारी राजेंद्र भोसले के अनुसार इस जिले में नियमित जांच के दौरान मई माह में 86,182 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इनमें 9,928 की उम्र 18 वर्ष से कम थी। यह संख्या पॉजिटिव पाए गए लोगों की 11.5 फीसद थी। इनमें 6,700 की उम्र 11 से 18 वर्ष के बीच थी। 3,100 बच्चे एक वर्ष से 10 वर्ष के बीच थे। लेकिन प्रशासन के अनुसार चिंता की बात इसलिए नहीं है, क्योंकि पॉजिटिव पाए गए इन बच्चों में 95 फीसद एसिम्पटोमैटिक थे, यानी उनमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं पाए गए।
चूंकि यह आशंका जताई जा रही है कि कोरोना की तीसरी लहर का सर्वाधिक प्रभाव बच्चों पर ही पड़ सकता है, बच्चों के प्रति अत्यधिक सावधान रहने की जरूरत है। अहमदनगर में बालरोगियों से संबंधित टास्क फोर्स के सदस्य डॉ.सचिन सोलट का कहना है कि फिलहाल जिले के सिविल अस्पताल में भर्ती 350 से 370 रोगियों में पांच या छह ही बच्चे हैं। इसलिए चिंता की विशेष बात नहीं है।
डॉ.सोलट के अनुसार सोमवार को भी जिले में करीब 1000 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। इनमें 97 बच्चे थे। वह मानते हैं कि चूंकि बच्चे अपने माता-पिता या परिवार के अन्य बड़ों के साथ रहते हैं, इसलिए उनके संक्रमित होने की संभावना ज्यादा होती है। परिवार में बड़ों के संक्रमित होने के बाद जब हाई रिस्क कान्टैक्ट के दायरे में आने के कारण परिवार के अन्य लोगों का टेस्ट किया जाता है, तो उनमें बच्चे भी संक्रमित पाए जाते हैं। लेकिन राहत की बात यह है कि अब तक सामने आए ऐसे मामलों में ज्यादातर बच्चों में कोरोना के कोई गंभीर लक्षण नहीं पाए गए। लेकिन कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए अहमदनगर में 10 बाल चिकित्सकों की एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। साथ ही सिविल अस्पताल में 100 बिस्तर एवं कुछ आईसीयू बिस्तर भी बच्चों के लिए तैयार रखे गए हैं। ताकि समय आने पर बच्चों को उचित इलाज मुहैया कराया जा सके।