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Maharashtra: कोरोना को दो बार मात दे चुके हैं 90 साल के पांडुरंगा, स्वस्थ जीवनशैली व सकारात्मक सोच ने की ठीक होने में मदद

Maharashtra बीड जिले के 90 साल के एक वृद्ध इस संक्रमण से दो बार छुटकारा पा चुके हैं। इस महामारी पर अपनी जीत की कहानी सुनाने के लिए जीवित हैं। उन्होंने अपनी इस जीत के लिए साफ-सफाई की आदत स्वस्थ जीवनशैली और सकारात्मक रवैये को श्रेय दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 06:00 PM (IST)
Maharashtra: कोरोना को दो बार मात दे चुके हैं 90 साल के पांडुरंगा, स्वस्थ जीवनशैली व सकारात्मक सोच ने की ठीक होने में मदद
कोरोना को दो बार मात दे चुके हैं 90 साल के पांडुरंगा। फाइल फोटो

औरंगाबाद, प्रेट्र। Maharashtra: महाराष्ट्र में जब कोविड-19 महामारी ने विकराल रूप लेकर बेतहाशा लोगों की जान लेना शुरू कर दिया है, बीड जिले के 90 साल के एक वृद्ध इस संक्रमण से दो बार छुटकारा पा चुके हैं। इस महामारी पर अपनी जीत की कहानी सुनाने के लिए जीवित हैं। उन्होंने अपनी इस जीत के लिए साफ-सफाई की आदत, स्वस्थ जीवनशैली और सकारात्मक रवैये को श्रेय दिया है। पांडूरंगा आत्माराम अगलेव (अडास्कर) अडास के रहने वाले हैं। उन्हें पहली बार कोरोना संक्रमण नवंबर, 2020 को हुआ था। केज के एक सरकारी अस्पताल में दस दिनों के इलाज के बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गए थे। उन्होंने बताया कि जब पहली बार उन्हें यह घातक संक्रमण हुआ तो उसकी तीव्रता कम थी। जबकि दूसरी बार उन्हें ठीक होने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

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जब पांडुरंगा इस महीने की शुरुआत में फिर से कोरोना पाजिटिव पाए गए तो उन्हें अंबाजोगई के लोखंडी स्वरगांव के कोविड-19 केयर सेंटर में भर्ती कराया गया। उन्हें पांच दिनों के बाद ही अस्पताल से छुट्टी देकर स्वामी रामानंद तीर्थ मेडिकल कालेज में रेफर कर दिया गया, जहां से उन्हें इसी 17 अप्रैल को छुट्टी मिली है। पांडुरंगा के बेटे विष्णु ने बताया कि उनके पिता के दूसरी बार संक्रमित होने पर उनका हाईरेज्युलूशन कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी (एचआरसीटी) स्कोर 18 था। इस बार उन्हें ठीक होने में थोड़ा वक्त लगा। उनकी अनुशासित जीवनशैली ने उनके ठीक होने में खासी मदद की है। पांडुरंगा ने अपनी अच्छी सेहत का राज खोलते हुए कहा कि आज के युवा आसानी से नशे की लत में पड़ जाते हैं और खुद को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए कसरत भी नहीं करते हैं। मैं नियमित चहलकदमी करता हूं और तनावमुक्त जीवन जीता हूं। उन्होंने कहा कि जहां अस्पताल में इस बीमारी से मर रहे थे मैं सकारात्मक और तनावमुक्त रहा। मुझे ऑक्सीजन भी दिया गया था लेकिन में इस बात से जरा भी चिंतित नहीं हुआ।


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