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Maharashtra: 1994 बैच के सीनियर्स ने आइआइटी मुंबई को दिए सवा करोड़

IIT Mumbai पिछले सप्ताह ही आइआइटी मुंबई ने यह सत्र ऑनलाइन चलाने की घोषणा की थी और इसके लिए लोगों से आर्थिक मदद की अपील भी की थी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:45 PM (IST)
Maharashtra: 1994 बैच के सीनियर्स ने आइआइटी मुंबई को दिए सवा करोड़
Maharashtra: 1994 बैच के सीनियर्स ने आइआइटी मुंबई को दिए सवा करोड़

राज्य ब्यूरो, मुंबई। IIT Mumbai: वर्ष 2020-21 का पूरा सत्र ऑनलाइन शुरू करने में मदद के लिए आइआइटी मुंबई के 1994 बैच के विद्यार्थियों ने संस्थान को 1.25 करोड़ रुपये की राशि देने की घोषणा की है। पिछले सप्ताह ही आइआइटी मुंबई ने यह सत्र ऑनलाइन चलाने की घोषणा की थी और इसके लिए लोगों से आर्थिक मदद की अपील भी की थी। पिछले वर्ष ही अपने संगठन की रजत जयंती मना चुके इस बैच के प्रतिनिधियों ने कहा कि आइआइटी मुंबई के निदेशक प्रोफेसर सुभाषीश चौधरी के आह्वान पर वे 1.25 करोड़ रुपये शुरू होने जा रहे सत्र के छात्रों को लैपटॉप एवं इंटरनेट की सुविधा जुटाने के लिए प्रदान कर रहे हैं। ये सुविधाएं विद्यार्थियों  को घर बैठे ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने में मददगार साबित होंगी। सत्र की शुरुआत अगस्त से होने जा रही है।

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निदेशक सुभाषीश चौधरी ने पूर्व विद्यार्थियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि उनकी इस मदद से आइआइटी अभी तक इस मद में लगने वाले करीब पांच करोड़ रुपयों का 70 फीसद तक जुटाने में कामयाब रहा है। इससे पहले अमेरिका स्थित आइआइटी बांबे हेरिटेज फाउंडेशन भी 2.35 करोड़ रुपये देने की घोषणा कर चुका है। कोरोना संकट के कारण आइआइटी बांबे ने करीब 10 दिन पहले ही अगस्त से शुरू हो रहा अपना पूरा सत्र ऑनलाइन चलाने की घोषणा की थी। बड़े शिक्षण संस्थानों में यह निर्णय करने वाला आइआइटी मुंबई पहला संस्थान था।

गौरतलब है कि आइआइटी मुंबई ने कोरोनटाइन नाम का एप बनाया था। इससे पता लगेगा कि कोराना से संक्रमित व्यक्ति कहां-कहां घूम रहा है। जीपीएस के माध्यम से यह लगाना संभव हुआ है। इसके अलावा, क्वारंटीन पीरियड में रह रहा कोई व्यक्ति अपने घर या जहां उसे रखा गया है, वो जगह छोड़कर कहीं बाहर जाता है तो इसे ट्रैक किया जा सकता है। अगर कोई यूजर एक निश्चित जगह पर स्थित क्वारंटीन जोन से बाहर निकलता है तो एप्लीकेशन सर्वर को एक मैसेज चला जाता है। यह ऑटो डिटेक्ट करता है। इस ऐप को आइआइटी मुंबई के प्रोफेसर गणेश रामाकृष्णन और प्रोफेसर मंजेश हनावल ने आइआइटी  मुंबई के एलमुनी और स्ट्रैटेजिक ईआरपी के एमडी अश्विन गामी ने साथ मिलकर बनाया है।


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