1993 Blast Case: मुंबई 1993 बम धमाकों के मोस्ट वांटेड सलीम गाजी की पाकिस्तान में मौत
1993 Blast महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 1993 में हुए सीरियल बम धमाके के मोस्ट वांटेड अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के करीबी सहयोगी सलीम गाजी की शनिवार को पाकिस्तान के कराची में मौत हो गई है।
मुंबई, एएनआइ। महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में 1993 में हुए सीरियल बम धमाके के मोस्ट वांटेड, अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम और छोटा शकील के करीबी सहयोगी सलीम गाजी की शनिवार को पाकिस्तान के कराची में मौत हो गई। मुंबई पुलिस के सूत्रों के अनुसार, गाजी का निधन दिल की बीमारी से हुआ। वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य बीमारियों से पीड़ित था। गाजी 1993 में मुंबई में हुए सीरियल बम धमाकों के आरोपितों में से एक था, जिसने देश की व्यावसायिक राजधानी को हिलाकर रख दिया था, जिसमें 257 लोगों की जान चली गई थी, जबकि 713 लोग घायल हो गए थे। उस पर विस्फोट के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था। घटना के तुरंत बाद वह दाऊद इब्राहिम के गिरोह के अन्य सदस्यों के साथ पाकिस्तान भाग गया था। तब से भारतीय अधिकारी उसे पकड़ने में विफल रहे।
मुंबई में 1993 के मोस्ट वांटेड सीरियल ब्लास्ट के आरोपित दाउद गिरोह के सदस्य और छोटा शकील के करीबी सलीम गाजी की शनिवार को कराची में मौत हो गई। रविवार को यह जानकारी मुंबई पुलिस सूत्र ने दी। बताया जाता है कि वह काफी समय से बीमार था। वह पाकिस्तान में अपना इलाज करा रहा था। गौरतसब है कि 12 मार्च, 1993 को करीब दो घंटे तक मुंबई के अलग-अलग इलाकों में सिलसिलेवार धमाके होते रहे और इस तेज रफ्तार शहर की जिंदगी बेपटरी हो गई। इन धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई, जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। उन धमाकों के कई किरदार थे। जिनमें से अबू सलेम और फारूख टकला जैसे कुछ लोग पुलिस कि गिरफ्त में हैं। इन धमाकों के मास्टरमाइंड अबू सलेम समेत अन्य कई दोषियों को तो विशेष टाडा अदालत ने सजा भी सुना दी है, लेकिन इन धमाकों के पीछे जो सबसे बड़ा नाम था वह दाऊद इब्राहिम आज भी भारतीय कानून की गिरफ्त से दूर है। दाऊद ने यह धमाके क्यों कराए उसके पीछे भी कहानी है। मुंबई धमाकों के पीछे का कारण बाबरी मस्जिद ढहाए जाने को बताया जाता है। छह दिसंबर, 1992 को अयोध्या में विवादित ढांचे को ढहाए जाने के बाद मुंबई समेत पूरे देश में दंगे भड़के थे।
दरअसल, 1993 मुंबई धमाके में 257 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 713 गंभीर रूप से घायल हुए थे। इस तबाही में करीब 27 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति नष्ट हो गई थी। इन धमाकों की चीख देशभर में सुनी गई। मुंबई धमाके को पूरे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया था। अंडरवर्ल्ड डान दाऊद इब्राहिम का इशारा मिलने के बाद सबसे पहले मुंबई में धमाकों के लिए लोगों को चुना गया। उन्हें दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजकर ट्रेनिंग दी गई। स्मगलिंग के अपने जाल का इस्तेमाल करते हुए दाऊद ने अरब सागर के रास्ते विस्फोटक मुंबई पहुंचाए थे। इस खूनी खेल को अंजाम देने के लिए मुंबई में उन सभी जगहों की पहचान और समय तय किए गए, जहां पर विस्फोट की वारदातों को अंजाम दिया जाना था। ये धमाके शहर के अलग-अलग इलाकों में करीब दो घंटे तक होते रहे और पूरी मुंबई की जिन्दगी को जैस थम कई। चारों तरफ अफरातफरी और दहशत का मौहाल था। पहला धमाका करीब डेढ़ बजे बांबे स्टाक एक्सचेंज के पास हुआ और अंतिम धमाका 3.40 बजे (सी राक होटल) हुआ था। एस हुसैन जैदी की किताब 'ब्लैक फ्राइडे' पर बनी फिल्म का शिवसेना ने कड़ा विरोध किया था। इससे पहले साल 2007 में पूरी हुए सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि 23 लोग बरी हुए थे।