100 करोड़ वसूली मामला: परमबीर सिंह पर 5000 रुपये का जुर्माना, सचिन वाजे से पूछताछ
100 करोड़ वसूली मामला जस्टिस चांदीवाल आयोग ने पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर हलफनामा दाखिल नहीं किए जाने को लेकर 5 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर इसे कोविड फंड में जमा करवाने का आदेश दिया है। वहीं आरोपी सचिन वाजे को पूछताछ के लिए न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
मुंबई, एएनआइ। एंटीलिया केस (Antilia Case) और मनसुख हीरेन हत्या (Mansukh Hiren Murder) मामले में आरोपी सचिन वाजे (Sachin Waze) की जस्टिस चांदीवाल आयोग (Justice Chandiwal commission) के सामने पेशी हुई। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह (Parambir singh) की ओर से राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) पर लगाए गए आरोपों को लेकर सचिन वाजे से पूछताछ की जाएगी, बता दें कि वाजे न्यायिक हिरासत में हैं। जस्टिस चांदीवाल आयोग ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह पर हलफनामा दाखिल नहीं किए जाने को लेकर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया और इस जुर्माने को जल्द से जल्द मुख्यमंत्री कोविड फंड में जमा करने का निर्देश दिया।
गौरतलब है कि बीते दिनों महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर परमबीर सिंह ने 100 करोड़ रुपये की वसूली करवाने का आरोप लगाया था। इस संगीन आरोप को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने जस्टिस चांदीवाल आयोग का गठन किया था। इन आरोपों के कारण अनिल देशमुख को गृह मंत्री से हटा दिया गया था और इस मामले की जांच ईडी और सीबीआई के हाथों में दे दी गई थी।
30 मार्च को हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश कैलाश उत्तमचंद चांदीवाल की अगुआई वाली एक सदस्यीय समिति का गठन किया गया था। जस्टिस चांदीवाल आयोग को महाराष्ट्र सरकार ने सिविल कोर्ट की शक्तियां प्रदान की थी। राज्य सरकार ने 3 मई को जारी एक अधिसूचना में जांच समिति को सिविल कोर्ट की शक्तियां प्रदान की थी।
जानें क्या है पूरा मामला
मुकेश अंबानी के दक्षिण मुंबई स्थित आवास एंटीलिया के बाहर 25 फरवरी को विस्फोटक से लदी स्कार्पियो मिलने के बाद 5 मार्च को हिरेन मनसुख की हत्या हो गई थी। मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वाझे पर आरोप लगाया गया था और गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया था। इस घटना के बाद परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गृह मंत्री अनिल देशमुख पर मुंबई के बार और रेस्टोरेंट से प्रति माह 100 करोड़ की वसूली करवाने का आरोप लगाया था।